क्या दलबदलुओं का साथ दे सकते हैं भगवान?
तौक़ीर सिद्दीक़ी
दलबदल एक तरह से चुनावी अपराध है क्योंकि आप को जनता ने जिस पार्टी के नाम पर वोट देकर जिताया और आपने बाद में उन वोटरों के साथ विश्वासघात करके दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया, इसे वोटरों के साथ विश्वासघात और जनमत का चीरहरण कहा जाता है. लेकिन अब तो हद ही हो गयी क्योंकि इन धोखेबाज़ दलबदलुओं ने तो अपने साथ भगवान् को भी मिला लिया। अपने गंदे और गलत काम को सही साबित करने के लिए भगवान् के नाम का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचके। कहाँ जा रही है आज की राजनीती और राजनेताओं की महत्वाकांक्षा। कुछ भी कहने और करने को तैयार हैं. राजनीतिक पतन की तो यह पराकाष्ठा होती जा रही है.
गोवा में आज एक बड़ा दलबदल हुआ, स्वाभाविक है कि यह दलबदल कांग्रेस से भाजपा में ही हुआ होगा। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत इस दलबदल के अगुवा थे. उनकी ही अगुवाई में सात दूसरे कांग्रेसी विधायकों ने आज भाजपा की सदस्यता ले ली. गोवा में कांग्रेस के अब 11 में से तीन विधायक ही बचे हैं. वैसे गोवा में कांग्रेस का टूटना कोई हैरानी वाली बात नहीं है, 2019 में भी कांग्रेस के पास एक ही विधायक बचा था बाकी सब भाजपा में समा गए थे, इसके बावजूद भी कांग्रेस का वजूद ख़त्म नहीं हुआ, आम आदमी पार्टी के वोट कटुआ बनने के बावजूद कांग्रेस पार्टी फिर 11 विधायक लेकर आयी.
खैर यह अलग विषय है, यहाँ बात हो रही है भगवान् की. तो दलबदलू दिगंबर कामत ने इसकी वजह भी बताई है और जो वजह बताई है उससे दिमाग़ भन्ना गया। दिगंबर ने कहा कि ऐसा करने के लिए भगवान् ने उन्हें इजाज़त दी है, उन्होंने और दूसरे विधायकों ने भाजपा में शामिल होने से पहले मंदिर में जाकर भगवान् से इसकी बाकायदा इजाज़त मांगी और उनसे इजाज़त मिलने के बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा को अपनाया। दरअसल इन्ही दिगंबर कामत ने पब्लिकली कभी कांग्रेस न छोड़ने और राहुल गाँधी का वफादार रहने की शपथ ली थी. अब उन्होंने शपथ तोड़ी है तो उसकी कोई सॉलिड वजह भी बतानी तो पड़ेगी। कामत ने इसके लिए भगवान को ही वजह बना दिया कि अब कोई उनके फैसले पर ऊँगली उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता। लेकिन मेरा सवाल दिगंबर कामत से है अपने इस गंदे खेल में भगवान् को क्यों शामिल किया। कुछ भी कह सकते थे. दम घुट रहा है, कांग्रेस पार्टी बदल गयी है, कांग्रेस जनता से दूर हो गयी है, कांग्रेस अपनी विचारधारा से हट गयी है, कुछ नहीं तो गुलाम नबी आज़ाद की तरह राहुल गाँधी पर कुछ बड़ा आरोप लगाकर भी कांग्रेस छोड़ सकते थे लेकिन अपने इस गंदे खेल में भगवान को क्यों शामिल किया। भगवान् ऐसा कभी नहीं हो सकता जो आपके दलबदल के घटिया और चुनावी अपराध के खेल में आपका साथ दे.
दरअसल गोवा में जो आज हुआ उसका सीधा सम्बन्ध कांग्रेस की “भारत जोड़ो यात्रा” से है जो लगातार लोगों को जोड़ती हुई नज़र आ रही है. यात्रा की सफलता को लेकर भाजपा शुरू से बेचैन है और वह लगातार इस कोशिश में लगी है कि “भारत जोड़ो यात्रा” को कैसे sabotage किया जाए. गोवा प्रकरण से भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस से लोगों का मोह भंग हो रहा है, वर्ना इस दलबदल से गोवा की सियासत पर क्या फर्क पड़ने वाला था. वहां तो भाजपा की स्थिर सरकार है और स्थिर न भी होती तो किसी की क्या मजाल कि कोई उसे अस्थिर कर सके. यह सिर्फ विशुद्ध रूप से कांग्रेस को कमज़ोर दिखाने की भाजपा की कवायद है जिसमें उसकी मदद दिगंबर कामत जैसे ज़मीरफ़रोश नेता कर रहे हैं.