कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना लागू करने के लिए मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार आम चुनाव से पहले केवल सीएए की सिर्फ एक नौटंकी भर कर रही है क्योंकि जैसे ही कोई आदमी सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करेगा वह व्यक्ति “अवैध प्रवासियों” हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते मंगलवार को कहा, “केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये सीएए की वैधता पर मुझे संदेह है। इस पर सरकार की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है। यह सिर्फ चुनाव से पहले एक नौटंकी भर है। 2019 में कुल 19 लाख हिंदू बंगालियों में से 13 लाख का नाम एनआरसी के नाम पर असम में सूची से हटा दिया गया। जिके कारण कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी।”

सीएम बनर्जी ने कहा कि सबसे बड़ी बात की सीएए एनआरसी से जुड़ा हुआ है और जो लोग सीएए के लिए आवेदन करेंगे उन्हें तुरंत अवैध प्रवासी माना जाएगा, हालांकि वे इसी देश के नागरिक हैं।

उन्होंने कहा, “सीएए में आवेदन करते ही आप अवैध प्रवासियों की श्रेणी में आ जाएंगे। आपकी नौकरियों का क्या होगा? आपके बच्चों का भविष्य क्या होगा? आपकी संपत्ति का क्या होगा? आपके सारे अधिकार छीन लिए जाएंगे, आपको ‘अवैध’ करार दिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ममता ने आगे कहा, “इसे बेहद गंभीरता से समझने की बात है कि यह आपके अधिकारों को छीनने का खेल है। सीएए सीधे तौर पर एनआरसी से जुड़ा है। सीएए के तहत आवेदन करने के बाद आपको डिटेंशन कैंप में ले जाया जाएगा। लेकिन एक बात मैं केंद्र सरकार से साफ कह दूं कि मैं अपने यहां से किसी को भी बंगाल से नहीं ले जाने दूंगी।”

उन्होंने आगे बेहद तीखे शब्दों में बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वो यह समझते हैं कि सीएए लागी करना सिक्सर मारने जैसे है लेकिन असल में तो यह बत्तख है।

सीएम बनर्जी ने कहा, “अगर सीएए से एक भी व्यक्ति को अधिकार मिलेगा तो मुझे खुशी होगी। मैं सभी को सुरक्षा दूंगा। क्या आप जानते हैं कि मणिपुर में कितने चर्च जलाए गए हैं? जब मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाया गया तो भाजपा नेता कहां थे? सच बताओ, क्या आपके पास आधार कार्ड नहीं हैं? क्या आपके पास जमीन और दुकानें नहीं हैं? जैसे ही आप सीएए के लिए आवेदन करते हैं, आप अवैध हो जाते हैं।”

मालूम हो कि लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले बीते सोमवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया। इस अधिनियम का उद्देश्य सताए गए उन बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई जैसे गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हैं।