Bulli bai APP: विषैली होती युवा पीढ़ी की मानसिकता
तौक़ीर सिद्दीक़ी
नौजवान नस्ल की रगों में नफरत का ज़हर कितनी तेज़ी से फैलता जा रहा है इसका पता इस बात से चलता है कि सुल्ली डील के क्लोन एप्प बुल्ली बाई के मामले में अबतक जो दो गिरफ्तारियां हुई हैं उनमें से एक 21 साल का इंजीनियरिंग छात्र और दूसरी 18 साल की एक छात्रा है. आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और सम्प्रदायों के बीच नफरत फैलाने का काम कितनी गहराई तक अपनी जड़ें फैला चूका है.
हम सभी जानते हैं कि 21 और 18 साल की उम्र स्कूल कालेज जाने की होती है, अपने भविष्य को तलाशने की उम्र होती, ज़िन्दगी में किस राह चलना है यह तय करने की उम्र होती, कौन सा करियर चुनना है, यह सोचने की उम्र होती है. लेकिन इस कम उम्र में अगर देश की युवा पीढ़ी इस तरह के नफरत को बढ़ाने वाले एप्प बनाने लगे तो चिंता होना लाज़मी है. देश की नौजवान पीढ़ी के दिमाग़ में यह ज़हर कौन भर रहा है, कौन इन्हें उकसा रहा है कि किसी एक ख़ास समुदाय के खिलाफ अपनी बीमार मानसिकता का मुज़ाहेरा करे. वह भी महिलाओं के खिलाफ जिनका हर धर्म में मान है, सम्मान है यहाँ तक की पूजा भी की जाती है.
बहरहाल मुंबई पुलिस को सलाम जो उसने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की. एक जनवरी को उजागर हुए इस मामले में तीन जनवरी को ही मास्टरमाइण्ड तक पहुँच गयी और उत्तराखंड में उसे धर दबोचा। जानकारी हैरानी होती है इस नफरती एप्प जिसमें मुस्लिम समाज की औरतों की तस्वीरें लगाकर बोलियां लगाई जाती थीं, गंदे गंदे और भद्दे भद्दे कमेंट किये जाते थे, हैशटैग के साथ उनको ट्रेंड किया जाता था उसकी मास्टरमाइण्ड 18 वर्ष की एक छात्रा निकली, जिसमें उसका साथ 21 वर्ष का एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट दे रहा था.
उत्तराखण्ड में लड़की की गिरफ़्तारी की जानकारी देते हुए मुंबई पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी यह लड़की ‘बुल्ली बाई’ ऐप से जुड़े तीन अकाउंट चलाती है। जबकि दूसरे आरोपी जिसका नाम विशाल है, उसने खालसा नाम से अकाउंट खोल रखा था। विशाल ने 31 दिसंबर को दूसरे अकाउंट के नाम भी बदले जिन्हे सिख नाम के आधार पर रखा गया ताकि ऐसा लगे, जैसे कोई खालिस्तानी ग्रुप यह नफरती एप्प चला रहा है, हालाँकि इस एप्प का सिखों से कोई लेना देना नहीं। लेकिन इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन दोनों आरोपियों का दिमाग़ कितना षड्यंत्रकारी है। यह सीधा सीधा सिख और मुस्लिम समाज को लड़ाने की साज़िश है.
बहरहाल मुंबई पुलिस की तत्परता ने समाज में साम्प्रदायिकता का ज़हर फ़ैलाने की एक घिनावनी कोशिश को नाकाम कर दिया है, देखना है कि इस घिनावनी हरकत के पीछे गिरफ्तार इन दोनों आरोपियों का ही दिमाग़ है या इसके पीछे कोई और बड़ा शातिर दिमाग़। वैसे ताज़ा मिली जानकारी के मुताबिक जियाउ नाम का एक नेपाली नागरिक ऐप पर की जाने वाली गतिविधियों के बारे में गिरफ्तार छात्रा श्वेता सिंह को निर्देश दे रहा था. फिलहाल, पुलिस कथित नेपाली नागरिक और श्वेता से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है. अब तक जो जानकारियां निकल सामने आ रही हैं उनसे यही लग रहा है कि यह कोई बड़ा नेटवर्क है जिसकी सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।