टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और टीकाकरण में भाजपा सरकार पूरी तरह नाकाम: डा0 उमा शंकर पाण्डेय
लखनऊ: दूसरे चरण में कोरोना महामारी की भयावहता विकराल रूप धारण कर चुकी है। डबल म्यूटेन्ट वैरिएन्ट पहले से ज्यादा ताकतवर एवं संक्रामक हो गया है। 2020 में जहां एक संक्रमित व्यक्ति 5 लोगों को संक्रमण फैलाने की स्थिति में था वहीं यह संख्या अब बीस तक पहुंच गयी है। ऐसे में संक्रमण तेजी से फैल रहा है और मृतकों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है। यहां तक कि लखनऊ में पाजीटिविटी दर पिछले के मुकाबले लगभग चार गुना बढ़कर 17.5 प्रतिशत हो चुका है। वाराणसी जो कि प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है वहां 19 प्रतिशत के बेहद चिन्ताजनक स्तर तक पहुंच गया है। ऐसी विकट स्थिति के बाद भी सरकार आवश्यक व्यवस्थाएं करने में अब तक पूरी तरह से निष्क्रिय है। मुख्यमंत्री जी अभी भी चुनावी पर्यटन पर हैं। पूरी ऊर्जा बयानबाजी पर केन्द्रित हो गयी है जिस कारण स्थिति भयावह हो गयी है। शर्मनाक तो यह है कि कोरोना पीड़ित एक व्यक्ति को इलाज दिलाने के बजाए मुख्यमंत्री जी के आवास से चन्द कदमों की दूरी पर स्थित पेट्रोल पम्प पर बने फुटपाथ पर ही चारों ओर से रस्सी बांधकर पुलिस द्वारा आइसोलेट कर दिया गया। यह योगी सरकार का अमानवीय चेहरा दर्शाता है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डा0 उमा शंकर पाण्डेय ने आज जारी बयान में कहा कि बार-बार कांग्रेस पार्टी द्वारा टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट व टीकाकरण में युद्ध स्तर की तैयारी की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद योगी सरकार कोरोना महामारी की भयावहता को अभी भी नजरंदाज कर रही है और कोरोना संक्रमण दर के मामले में उ0प्र0 देश में चैथे नम्बर पर पहंुच गया है। हालात दिनों-दिन बद से बदतर होते जा रहे है। राजधानी में विद्युत शवदाह गृहों की लगभग न के बराबर उपलब्धता और लम्बी वेटिंग को देखते हुए लकड़ी की चिता पर अंतिम संस्कार की इजाजत दी गयी जिसके बाद नगर निगम द्वारा लकड़ी की भी अनुपलब्धता उजागर हो गई। बाद में आनन-फानन में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी दूसरे जिलों से लकड़ी मंगानी पड़ी।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ जहां इलाज के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों से लोग पहुंचते हैं वहां पर कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए एल-3 बेडों की व्यापक कमी है। विगत वर्ष 2020 में केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया, एसजीपीजीआई लखनऊ में 850 एल-3 बेडों की व्यवस्था की गई थी। इस बार महामारी की व्यापकता के बावजूद क्रियाशील बेडों की संख्या महज 495 ही हो पाई है। ऐसे में गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए सरकार को तत्काल एल-3 के 2 हजार बेडों की व्यवस्था सुनिश्चित करानी चाहिए।
डा0 उमा शंकर पाण्डेय ने कहा कि सरकार को बिना देरी किये प्रदेश के सभी जनपदों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोरोना की जांच की व्यवस्था और आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करानी चाहिए। जिससे कोरोना ग्रस्त लोगों की जांच हो सके और पीड़ित मरीजों का समुचित इलाज हो सके। कोरोना जांच का दायरा बढ़ाया जाए और 18 वर्ष से 45 वर्ष के बीच के लोगों को भी कोरोना जांच और वैक्सीनेशन की व्यवस्था कराई जाए।