बर्ड फ़्लू: कोरोना का संकट झेल रहे देश के लिए एक और खतरे की घंटी
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश के लिए बर्ड फ्लू का खौफ एक नई मुसीबत बन गयी है। 2020 तो जैसे तैसे बीत गया अब 2021 बर्ड फ्लू की दस्तक ने लोगों में खौफ पैदा कर दिया है। देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत के बाद सरकारें अलर्ट हैं। मध्य प्रदेश और हिमाचल के एक-एक जिले में चिकन बिक्री पर रोक भी लगा दी गई है। मध्य प्रदेश ने जहां दक्षिणी राज्यों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी है तो आगर में जिला प्रशासन ने चिकन की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले में एवियन फ्लू की पुष्टि के बाद 4 सब डिविजन को सील कर दिया गया है और इलाके में अंडा, मीट, पोल्ट्री उत्पादों और मछलियों की बिक्री रोक दी गई है। यह कोई पहली बार नहीं है कि देश में बर्ड फ्लू आया हो लेकिन चिंता की वजह यह है कि यह वायरस पक्षियों के साथ जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है।बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में सामने आया था और तब से इससे संक्रमित होने वाले 60 फीसदी लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन यह वायरस इंसानी फ्लू से अलग मनुष्य से दूसरे मनुष्य में आसानी से नहीं फैलता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्ड फ्लू या एवियन इंफलूएजा एक वायरल इन्फेक्शनल है, जो पक्षियों से पक्षियों में फैलता है।
यह ज्यादातर पक्षियों में फैलता है और जानलेवा साबित होता है। एच 5 एन 1 या एच 7 तरह के जितने भी बर्ड इन फ्लूएंजा होते हैं, वे प्राकृतिक रूप से पैदा होते हैं। पर्यावरण की वजह से जिन पक्षियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, उनमें यह वायरस पनप सकता है। केंद्रयी मंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कि बर्ड फ्लू का प्रकोप भारत में कोई नई बात नहीं है और देश में 2015 से हर साल सर्दियों के दौरान बीमारी के कुछ मामले सामने आते हैं।
शुरूआती तौर पर राजस्थान के झालावाड़ इलाके में बड़ी संख्या में कौवों और प्रवासी पक्षियों के मरने की खबरें आई थी, जिनकी जांच में वायरस की पुष्टि हुई। उसके बाद तो केरल, हिमाचल, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात में मुर्गियों, बत्तखों तथा अन्य पक्षियों के मरने की खबरें आने लगीं। यह वायरस कैसे फैलना शुरू हुआ, इस संबंध में साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता। सर्दियों के दिनों में बड़ी संख्या में बाहर से प्रवासी पक्षी आते हैं और कहा जा रहा है कि वायरस बाहर से आए हुए कौवों के जरिये फैला है।
जापान में भी कोरोना महामारी के बीच बर्ड फ्लू का प्रकोप छाया हुआ है, जिसके चलते वहां अब तक 23 लाख से ज्यादा मुर्गियों और बत्तखों को मारा जा चुका है। जापान में बर्ड फ्लू 8 राज्यों में फैला हुआ है। अब तक 23 लाख मुर्गियों को मारे जाने से 2010 का रिकार्ड भी टूट गया है।2010 में बर्ड फ्लू के कारण 18.3 लाख पक्षियों को मारा गया था। यह घातक फ्लू यूरोप में भी तेजी से फैल रहा है। केरल में बर्ड फ्लू को आपदा घोषित कर दिया गया और अन्य राज्यों में भी मुर्गियों, बत्तखों और कौवों को मारने का सिलसिला शुरू हो चुका है। दो लाख से ज्यादा पक्षी मर चुके हैं और अब पता नहीं कितने पक्षी और मारे जाएंगे। कोरोना का संकट झेल रहे देश के लिए एक और खतरे की घंटी बज रही है।
देश पहले ही आर्थिक चुनौतियां झेल रहा है, लॉकडाउन के चलते पहले से ही बेरोजगारी फैली हुई है। उद्योग धंधे अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं। लोग अभी सम्भल ही नहीं पा रहे कि नए वायरस का हमला हो गया है। बढ़ते खतरे के चलते देश के लगभग सवा लाख करोड़ के पोल्ट्री उद्योग व किसानों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पहले से ही कोरोना महामारी का दंश झेल रहा पोल्ट्री उद्योग अभी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौटा है। इस बीच पोल्ट्री उद्योग व इससे जुड़े किसानों को बर्ड फ्लू ने घेर लिया है। हालांकि ब्रायलर और चिकन में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है। सरकार का कहना है कि चिकन-अंडे पूरी तरह से सुरक्षित हैं, उनको खाया जा सकता है।विदित हो कि पिछले साल जनवरी माह से सोशल मीडिया में पक्षियों में कोरोना होने की अफवाह के चलते लोगों ने चिकन,मटन, अंडे खाना बंद कर दिया था। जानकारों का कहना है कि पोल्ट्री उद्योग को चारे के रूप में मक्का, बाजरा, सोयाबीन आदि को उत्पादन करने वाले किसानों को 35 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। जबकि पोल्ट्री उद्योग 65 हजार करोड़ का नुकसान हुआ और उद्योग से जुड़े लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। जब डॉक्टरों ने कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु चिकन-अंडे खाने की सलाह दी। तब जून से इस उद्योग ने गति पकड़ी शुरू की।
मध्य प्रदेश सरकार खासतौर पर कड़कनाथ मुर्गे की संभाल के लिए इस क्षेत्र में विशेष ध्यान दे रही है | दरअसल, प्रदेश के झाबुआ जिले में कड़कनाथ भारतीय मुर्गियों की एक खास प्रजाति है। जो भील एवं भिलाला जनजातियों के लोग पालते हैं, अब यह देश भर में एक बहुचर्चित प्रजाति के रूप में जानी जा रही है। इसका मांस एवं अंडा महंगी दरों (मीट 800 से 1000 रुपये/किलोग्राम एवं प्रति अंडा 10-15 रुपये) पर बिक रहा है। इससे इसकी मांग ग्रामीण क्षेत्रों में भी पालन के लिहाज से बढ़ी है। यदि इस प्रजाति का नुकसान हुआ तो भील – भिलाला जनजातियों रोजगार जाने के साथ इस प्रजाति के भी लुप्त होने का खतरा है |
राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन लगातार सलाह दे रहा है कि मुर्गी, बत्तख, मछली और इनसे जुड़े उत्पादों मसलन अंडे और मांस के सेवन से परहेज करें, मरे हुए पक्षियों को छुएं नहीं। हर जगह प्रशासन संक्रमित इलाकों में मरे पक्षियों का सुरक्षित तरीके से निस्तारण कर रहा है।हरियाणा में तो मुर्गियों में आरडी की बीमारी के लक्षण नजर आ रहे हैं। इस बीमारी से मुर्गियों का एक पैर आगे आैर एक पीछे की तरफ चला जाता है। मुर्गियों की गर्दन अकड़ जाती है। ऐसा होने पर कुछ देर बाद मुर्गियां मरने लगती हैं। लेकिन अब इसकी वैक्सीन भी आ चुकी है।
मुर्गियों को दवाई भी दी जाती है और मुर्गियों को दस से पन्द्रह दिन तक मोल्डिंग पर रखा जाता है। बर्ड फ्लू का वायरस भी नाक, कान और मुंह से सांस के जरिये मनुष्य में फैलता है। इस संक्रमण के होने पर नाक बहने, सांस लेने में दिक्कत, कफ बनने और गले में सूजन और पेट दर्द की शिकायत रहती है।अच्छी बात तो यह है कि संक्रमण होने पर उपचार के लिए जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं। कोरोना महामारी के बीच बर्ड फ्लू पर काबू पाने के लिए सतर्कता की जरूरत सामान्य वर्षों से कहीं ज्यादा है। कोरोना वायरस की तरह एच-5 एन-I का वायरस भी 1996 में चीन में पाया गया था।
इससे एक हंस संक्रमित हुआ था। यही वायरस इंसानों में 1997 में हांगकांग में पाया गया था। 2013 में चीन में इंसानों से इंसानों को बर्ड फ्लू होने का पहला मामला सामने आया था। अगर इंसान को बर्ड फ्लू हो जाए तो उसके इलाज के लिए कई तरीके मौजूद हैं, लेकिन इसके बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका प्रभावित इलाकों से दूर रहना और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना ही है।सबसे पहले कोरोना भी केरल में आया था और अब बर्ड फ्लू प्रकोप फैला हुआ है। कोरोना की तरह बर्ड फ्लू से भी डरना जरूरी है।
अशोक भाटिया
स्वतंत्र पत्रकार
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