लखनऊ:
नागपुर में आज विजय दशमी के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश की बढ़ती आबादी को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधा, भागवत ने एक तरफ जहाँ बढ़ती जनसँख्या को समस्या के साथ समाधान भी बताया वहीँ जनसंख्या असंतुलन की बात भी उठाई, उन्होंने किसी समुदाय का नाम लिए बिना कहा कि इस असंतुलन का देश खमियाज़ा भुगत चुका है इसलिए देश में जनसंख्या नियंत्रण की ऐसी पालिसी बनाने की ज़रुरत है जिसमें किसी को छूट न मिले। मोहन भागवत के इस बयान पर देश में एकबार फिर बहस छिड़ गयी है, मुस्लिम नेताओं का कहना है कि भागवत ने हमेशा की तरह इस बार दो अर्थों वाला बयान दिया है.

भागवत के आज के बयान पर मोमिन अंसार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम अंसारी ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. अकरम अंसारी का कहना है कि भागवत के इस बयान से उनका असली चेहरा एकबार फिर बेनकाब हो गया. उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख एक तरफ बढ़ती जनसँख्या को देश की ताकत बताते हैं वहीँ आगे यह भी कहते हैं कि इसके असंतुलन से नए देश भी बन जाया करते हैं, उन्होंने कहा कि दरअसल संघ प्रमुख शूद्रों और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या पर तो लगाम लगाना चाहते हैं लेकिन सवर्णों को अपनी आबादी बढ़ाने के लिए उत्साहित करते हैं। अकरम अंसारी ने कहा कि अपने सम्बोधन में अगर उन्होंने बेरोज़गार नौजवानों का मुद्दा उठाया होता, उनको रोज़गार देने की बात की होती तो ज़्यादा अच्छा होता। उन्होंने कहा कि मुसलमान तो पहले ही इस मामले में जागरूक हो चूका है, इसकी गवाही आंकड़े देते हैं जो बताते हैं कि मुस्लिम समुदाय में प्रजनन दर काफी तेज़ी से गिरी है.