छद्म कंपनी मामले में क्लीन चिट के बजाय कार्यवाही की गई होती तो रोका जा सकता था बैंक घोटाला: वर्कर्स फ्रंट
लखनऊ
दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) द्वारा 17 बैंकों से 34615 करोड़ रुपये के घोटाले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने आरोप लगाया है कि इस विवादित व डिफाल्टर कंपनी पर शेल कंपनी (छद्म कंपनी) बनाकर हजारों करोड़ घोटाले के मामले में क्लीन चिट के बजाय कार्यवाही की गई होती तो इतने बड़े बैंक घोटाले से बचा जा सकता था।
गौरतलब है कि उक्त कंपनी अरसे से विवादित व डिफाल्टर के बतौर जानी जाती रही है। न्यायालय द्वारा भी इस कंपनी को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की गई थी। उत्तर प्रदेश में भी 2017 में योगी सरकार सत्तारूढ़ होने के बाद बिजली कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड में 2268 करोड़ के घोटाला की सीबीआई जांच का मामला भी लंबित है। इतना सब होने के बावजूद इस कंपनी द्वारा 17 बैंकों से 34615 करोड़ का फ्राड कर घोटाला करना शीर्ष अधिकारियों व केंद्र सरकार में प्रभावशाली लोगों के सहयोग के बिना संभव नहीं दिखता।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी जिस तरह 2268 करोड़ बिजली कर्मचारियों की प्रोविडेंट फंड घोटाले के मामले में लीपापोती की गई और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई को अभियोजन की अनुमति प्रदान नहीं की गई, उससे जगजाहिर है कि उक्त डिफाल्टर कंपनी को किस तरह हजारों करोड़ की लूट को रोकने में उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार ने भूमिका अदा नहीं की।
वर्कर्स फ्रंट ने प्रधानमंत्री मोदी से इस बैंकिंग घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने और इस धनराशि के रिकवरी के लिए हरसंभव कदम उठाने की मांग की है। प्रदेश सरकार से भी बिजली कर्मचारियों के 2268 करोड़ की रिकवरी इसी कंपनी से कराने की भी मांग की गई।