इरम यूनानी मेडिकल कॉलेज में “आयुर्वेद दिवस” मनाया गया
लखनऊ:
आज पूरे देश में आठवां “आयुर्वेद दिवस” मनाया जा रहा है, ज्ञात हो कि वर्ष 2016 से प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद के महान विद्वान धन्वंतरी जिन्हें “लॉर्ड ऑफ़ आयुर्वेद” कहा जाता है के जन्म दिवस 10 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर पर “आयुर्वेद दिवस” के रूप में मनाया जाता है ताकि वैश्विक स्तर पर इस प्राचीन एवं समृद्ध चिकित्सा पद्धति का प्रचार व प्रसार हो एवं जनमानस में इसके प्रति विश्वास स्थापित किया जाए, मानव जीवन के साथ साथ पेड़ पौदों, जीव जंतुओं आदि को भी सुरक्षा प्रदान की जाए, इस वर्ष “स्वास्थ के लिए आयुर्वेद, हर दिन सबके लिए आयुर्वेद” थीम पर उक्त दिवस मनाया जा रहा है तथा भारत सरकार ने पिछले एक माह से पूरे देश में इसके प्रति जागरूकता अभियान चला रखा है, संपूर्ण भारत वर्ष में जगह-जगह भिन्न-भिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इसी क्रम में आज प्रोफ़ेसर मोहम्मद आरिफ़ इस्लाही(अध्यक्ष, मोआलजात विभाग) द्वारा संचालित एक संगोष्ठी इरम यूनानी मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के हकीम अजमल खां सेमिनार हॉल में आयोजित की गई, कार्यक्रम में डॉक्टर अखिलेश कुमार वर्मा (रजिस्ट्रार, उत्तर प्रदेश आर्युवेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड) मुख्य अतिथि एवं डॉक्टर राजकुमार यादव (क्षेत्रीय अधिकारी आर्युवेद एवं यूनानी, लखनऊ) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर अब्दुल हलीम क़ासमी ने अतिथि महोदय का अभिनंदन एवं धन्यवाद किया।
उक्त अवसर पर अतिथि महोदय डॉक्टर अखिलेश कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का परिचय कराते हुए कहा कि “आर्युवेद दिवस” मनाने का उद्देश्य यह है कि जनमानस को इसके प्रति जागरुक किया जाए तथा उन्हें अपने स्वास्थ के प्रति सचेत किया जाए, इस से उन्हें स्वास्थ समस्याओं के निवारण हेतु एक उत्कृष्ट विकल्प मिलेगा तथा आर्युवेद के प्रचार व प्रसार, शिक्षा एवं शोध को बढ़ावा मिलेगा।
विशिष्ट अतिथि डॉक्टर राजकुमार यादव ने कहा कि आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है एवं चिकित्सा जगत इसे उच्च स्तरीय स्थान प्राप्त है, आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि एक जीवनशैली है।
कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर सैय्यद मुफीद अहमद(अध्यक्ष, कुल्लियात विभाग), डॉक्टर शाहिद सुहैल( सह प्राध्यापक, मोआलजात विभाग) एवं छात्र/छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का समापन डॉक्टर ज़ुबैर अहमद ख़ान (सह प्राध्यापक, इल्मुल जराहत विभाग) के धन्यवाद शब्दों से हुआ।