अवधी आमजन की भाषा रही है और आज भी है- प्रदीप सारंग
फहीम सिद्दीकी
बाराबंकी-अवधी आमजन की भाषा रही है और आज भी है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना अवधी में की तो काशिमशाह दरियाबादी, मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी में प्रेमाख्यान लिखकर अवधी को समृद्ध किया है।
उक्त विचार प्रदीप सारंग, नव-निर्वाचित सचिव नेपाल-भारत अवधी परिषद ने हजाराबाग स्थित गुलजार फाउंडेशन कार्यालय में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए।
श्री सारंग ने यह भी कहा कि दोनों देशों के साहित्यकार भारतीय साहित्यकारों के साथ मिलकर साझा कार्यक्रम आयोजित कर मैत्री संबंधों को और मजबूती देना चाहते हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ० विनयदास साहित्य समीक्षक ने कहा कि नेपाल-भारत अवधी परिषद के गठन से दोनों देशों के बीच साझा कार्यक्रमों के माध्यम से मैत्री संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे। साहित्यकार इकबाल राही ने अंतरराष्ट्रीय संगठन के सचिव निर्वाचित होने पर श्री सारंग को बधाई दी।
गीतकार डॉ कुमार पुष्पेंद्र के संचालन में संपन्न अभिनंदन समारोह को डॉ० बलराम वर्मा, गुलज़ार बानो, डॉ० राम सुरेश, सदानंद वर्मा, अब्दुल खालिक, रमेश चन्द्र रावत, गुलजार बानो, रेखा वर्मा, नीता वर्मा ने संबोधित किया।
गुलज़ार बानो द्वारा आयोजित सम्मान कार्यक्रम के अंत में काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें हास्य कवि अनिल श्रीवास्तव लल्लू, ग़ज़लकार पंकज वर्मा कंवल, इकबाल राही, गीतकार लता श्रीवास्तव, युवा कवि साहब नारायण शर्मा, हिमांशु वर्मा ने काव्य पाठ किया। अंत में गुलजार फाउंडेशन की सचिव एडवोकेट गुलज़ार बानो ने सभी का आभार व्यक्त किया।