किसान अन्नदाता होने के साथ-साथ जीवनदाता भी: आनंदीबेन पटेल
प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या का 26 वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में 595 छात्र-छात्राओं को उपाधियां व 27 मेधावियों को स्वर्ण पदक दिया गया। कुलाधिपति स्वर्ण पदक आठ, कुलपति स्वर्ण पदक 11 तथा विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक आठ मेधावियों को दिया गया। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न महाविद्यालयों एवं मुख्य परिसर को मिलाकर स्नातक, परास्नातक एवं पीएचडी के कुल 595 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गईं। जिसमें स्नातक के कुल 330, परास्नातक के 238 तथा पीएचडी के कुल 27 छात्र-छात्राओं को उपाधिय़ां दी गईं। राज्यपाल जी द्वारा डिजिलॉकर पर सभी उपाधियों/अंक तालिकाओं को अपलोड किया गया।
राज्यपाल जी ने उपाधि/पदक प्राप्तकर्ता सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि स्वर्ण पदक विजेताओं में 55.55 प्रतिशत छात्राएं हैं और 08 में से 06 कुलाधिपति पदक विजेता भी छात्राएं हैं, जो महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है।
उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अपनी मेहनत और संकल्प से प्राप्त सफलता उनकेे जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो एक शुरुआत है। उन्हांेने छात्र-छात्राओं को कृषि, प्रौद्योगिकी, नवाचार और शोध को बढ़ावा देने का आह्वान किया, जिससे न केवल उनका भविष्य उज्ज्वल हो, बल्कि राष्ट्र की प्रगति में भी योगदान हो सके। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की उपलब्धियां विश्वविद्यालय के शैक्षणिक उत्थान में योगदान का प्रतीक हैं और उन्हें अपनी कड़ी मेहनत के लिए पुरस्कृत किया गया है।
राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय परिवार की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान ने अपने दृढ़ संकल्प और परिश्रम से नैक ‘ए प्लस प्लस‘ ग्रेड प्राप्त किया है। इस उपलब्धि ने विश्वविद्यालय के साथ उत्तर प्रदेश को भी पूरे देश में एक नई पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना सबकी जिम्मेदारी है। इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय परिवार को आगे आना होगा। विश्वविद्यालय जो भी कार्य कर रहा है उसका लाभ गरीब, पिछड़ा वर्ग और किसानों को हो रहा है। साथ ही उन्होंने कृषि उत्पादन और उत्पादकता में विश्वविद्यालय के योगदान की भी प्रशंसा की और कहा कि वर्ष 2047 के बाद कृषि विश्वविद्यालय का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे किसान अन्नदाता होने के साथ-साथ जीवनदाता भी हैं। उन्हांेने कहा कि नवीन कृषि पद्धतियों के लिए सरकार कार्य कर रही है। कम पानी में अधिक फसलों की पैदावार हो सके इसके लिए विश्वविद्यालय को अनुसंधान करना होगा, जिससे कि किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने विश्वविद्यालय को जलवायु परिवर्तन से कृषि पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को गर्मी और सूखे जैसी परिस्थितियों से बचाव करने के लिए सकारात्मक प्रयास करने चाहिए। राज्यपाल जी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में 2024-25 में 1.52 करोड़ कृषि का बजट प्रधानमंत्री जी ने दिया है, जिससे की कृषि के क्षेत्र में हमारा देश आत्मनिर्भर बन सके।
कुलाधिपति जी ने युवा छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे नौकरी के चक्कर में न पड़कर सरकार की कई लाभकारी योजनाओं का लाभ उठाएं। इस योजनाओं से वे अपना व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं साथ ही दूसरों को भी रोजगार देने कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छह आकांक्षी जिलों को गोद लेकर कार्य कर रहा है। आकांक्षी जिलों के विकास के लिए जिले के अधिकारियों, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य एवं ग्राम पंचायत सदस्य स्तर से सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है।
राज्यपाल जी ने यह भी कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने और सिंचाई प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम0एस0पी0) में महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने जैविक खेती और कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की भी सराहना की। समारोह के दौरान राज्यपाल जी ने अन्न और जल के महत्व पर जोर देते हुए विद्यार्थियों और संकाय से इसे बर्बाद न करने की अपील की।
राज्यपाल जी ने कृषि क्षेत्र में हो रहे वैश्विक बदलावों के साथ तालमेल बिठाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रौद्योगिकी-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कृषि ड्रोन और अन्य नवीन प्रौद्योगिकियां किसानों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने 199 प्रजातियां विकसित की हैं। जो देश को खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने में सहायक हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल जी ने विभिन्न जगहों से पहुंचे पांच प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया, जिसमें पार्वती देवी को केला उत्पादन, अरविंद कुमार पाल को मछली व काला नमक उत्पादन, अजीत कुमार को मधुमक्खी पालन, महेंद्र सिंह को प्राकृतिक खेती और ज्ञानेंद्र कुमार राय को केले के साथ-साथ सहफसली खेती के प्रयोग के लिए सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त राज्यपाल जी ने 125 आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु आंगनबाड़ी किट का भी वितरण किया। राज्यपाल जी की प्रेरणा से अबतक प्रदेश भर में कुल 17,351 किटों का वितरण किया जा चुका है। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय को आंगनबाड़ियों के साथ जुड़ने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि कृषि विश्वविद्यालय आंगनबाड़ियों के साथ जुड़ जाता है, तो इन बच्चों का समग्र विकास संभव हो सकेगा। एक दिन ये बच्चे बड़े होकर इसी विश्वविद्यालय में पढ़ने आएंगे और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांवों के परिषदीय विद्यालयों में चित्रकला, भाषण, कहानी, कथन एवं खेलकूद प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया तथा राजभवन की ओर से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों हेतु शिक्षकों को पुस्तकें भी प्रदान की गई। विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांव के बच्चों के बीच आयोजित प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिस्पर्धाओं से बच्चों का समग्र विकास होता है।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 विजेन्द्र सिंह, मुख्य अतिथि कृषि वित्त निगम इंडिया लिमिटेड के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डा. सी0 डी0 माई तथा विशिष्ट अतिथि प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह औलख ने भी छात्रों को संबोधित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर प्रबंधन परिषद के सदस्य, जिलाधिकारी अंबेडकर नगर, मुख्य विकास अधिकारी, अम्बेडकर नगर, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष एवं पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।