प्रदेश नेतृत्व से नाराज़ पूर्व सांसद अनु टंडन का कांग्रेस से इस्तीफा
लखनऊ. पूर्व सांसद अनु टंडन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अनु ने ट्विटर पर जारी एक बयान में अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजने की जानकारी दी। उन्नाव से पूर्व लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा था और कुछ लोगों द्वारा झूठा प्रचार चलाया जा रहा था तथा केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
प्रियंका भी नहीं निकाल पाईं रास्ता
उन्होंने कहा, ‘‘इन बिंदुओं पर मेरी बात कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से भी हुई, लेकिन ऐसा कोई विकल्प या रास्ता नहीं निकल पाया, जो सबके हित में हो। पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी मेरी बातचीत हुई, लेकिन वो भी इन हालात में असहाय एवं विकल्पहीन लगे।”
प्रदेश नेतृत्व से नहीं मिल रहा सहयोग
अपने बयान में टंडन ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्यवश प्रदेश नेतृत्व से कोई तालमेल न होने के कारण मुझे कई महीनों से काम में उनसे कोई सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है। 2019 का चुनाव हारना मेरे लिए इतना कष्टदायक नहीं रहा, जितना पार्टी संगठन की तबाही और उसे बिखरते हुए देखकर हुआ।” उन्होंने कहा ,‘‘ प्रदेश का नेतृत्व सोशल मीडिया मैनेजमेंट व व्यक्तिगत ब्रांडिंग में इतना लीन है कि पार्टी व मतदाता के बिखर जाने का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है।”
झूठे प्रचार से हुआ कष्ट
टंडन ने कहा, ‘‘मेरे नेक इरादों के बावजूद मेरे सहयोगियों और मेरे बारे में कुछ चुनिंदा व अस्तित्वहीन व्यक्तियों द्वारा झूठा प्रचार सिर्फ वाहवाही के लिए किया जा रहा है ,उससे मुझे अत्यंत कष्ट का अनुभव हुआ। तकलीफ तब ज्यादा होती जब नेतृत्व द्वारा उसकी रोकथाम के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जाता है। इन सारी वजहों के बावजूद मैं कई महीनों से इस उम्मीद से पार्टी में बनी रही कि शायद प्रदेश के सुंदर भविष्य के लिए अच्छे व काबिल नेतृत्व को प्रोत्साहित किया जाएगा।”
सोनिया का जताया आभार
टंडन ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से 15 वर्षों में मिले सहयोग के लिए उनके प्रति आभार जताया है। टंडन ने कहा, ‘‘कांग्रेस में रहते हुए मुझे वरिष्ठ नेतृत्व से हमेशा मिलने का सौभाग्य रहा है और इस कार्यकाल में दोनों ही नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करते हुए उनका स्नेह और सहयोग मिला। इन वर्षों के सहयोग के लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी। मेरे उसूल और मेरी विचारधारा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से हमेशा मिलती हुई रही और इस त्याग पत्र के उपरांत उसमें कोई परिवर्तन नहीं है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने गृह क्षेत्र उन्नाव की 20 वर्षों से सेवा कर रही हूं और आगे भी काम करते रहना चाहती हूं। सहयोगियों से परामर्श के बाद भविष्य का फैसला लूंगी।”