सुरक्षा परिषद् में अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी ज़िल्लत, सबने छोड़ा साथ
ईरान पर हथियार प्रतिबंध की सीमा बढ़ाने का अमेरिकी प्रस्ताव खारिज,
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 75 साल के इतिहास में अमरीका को कभी इतनी ज़िल्लत का सामना नहीं करना पड़ा जितना शुक्रवार को ईरान के मुद्दे पर उसे करना पड़ा| शुक्रवार को ईरान के ख़िलाफ़ हथियारों की पाबंदी की मुद्दत बढ़ाने के लिए अमरीका की ओर से सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव का सिर्फ़ एक देश ने समर्थन किया समर्थन और वह था डोमेनिकन गणराज्य, चीन और रूस ने इसके ख़िलाफ़ वोट किया जबकि ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी सहित 11 सदस्य देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
ट्रम्प प्रश्न की धमकी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान पर लगे हथियार प्रतिबंधों की अवधि अनिश्चितकाल तक बढ़ाने के अमेरिका के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इससे खफा ट्रम्प प्रशासन ने धमकी दी है कि वह तेहरान पर सभी प्रतिबंध दोबारा लगाने के लिए कदम उठा सकता है।
रूस चीन ने किया विरोध
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय परिषद में शुक्रवार को दो देशों ने प्रस्ताव के समर्थन और दो देशों ने उसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 11 देश अनुपस्थित रहे। रूस और चीन ने इसका विरोध किया जबकि जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और आठ अन्य देशों ने मतदान नहीं किया। प्रस्ताव को पारित होने के लिए कम से कम नौ देशों के समर्थन की आवश्यकता थी।
सुरक्षा परिषद् को दोषी ठहराया
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि सुरक्षा परिषद के ऊपर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है, लेकिन वह अपनी मौलिक जिम्मेदारी निभाने में ‘असफल’ रहा। उन्होंने कहा, ‘उसने ईरान पर 13 वर्ष पुराने हथियार प्रतिबंध की अवधि बढ़ाने के उचित प्रस्ताव को खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के बिना परंपरागत हथियार खरीदने और बेचने के लिए आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले दुनिया के अग्रणी देश का रास्ता साफ कर दिया, जो कि एक दशक से भी अधिक समय में पहली बार हुआ है।’
विनाश फैलाएगा ईरान
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध की अवधि बढ़ाए जाने का समर्थन करने वाले इजराइल और छह अरब खाड़ी देश ‘जानते हैं कि यदि प्रतिबंधों की अवधि समाप्त हो जाती है, तो ईरान और अराजकता फैलाएगा तथा और विनाश करेगा, लेकिन सुरक्षा परिषद ने इस बात को नजरअंदाज करने का फैसला किया।’ पोम्पिओ ने एक बयान में कहा, ‘अमेरिका क्षेत्र में अपने उन मित्रों को कभी नहीं छोड़ेगा, जिन्होंने सुरक्षा परिषद से अधिक की उम्मीद की थी।’
न हो खतरनाक हथियारों की आजादी
उन्होंने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखेंगे कि आतंकी शासन के पास यूरोप, पश्चिम एशिया और अन्य क्षेत्र में खतरा पैदा करने वाले हथियार खरीदने और बेचने की आजादी न हों।’ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि केली क्राफ्ट ने कहा कि प्रस्ताव खारिज करके ‘संयुक्त राष्ट्र की सबसे खराब प्रवृत्ति सुरक्षा परिषद में देखने को मिली’। क्राफ्ट ने कहा कि प्रस्ताव 2231 के तहत अमेरिका के पास संयुक्त राष्ट्र के पहले के प्रस्तावों के प्रावधानों को पुन: लागू करने के लिए कदम उठाने का पूरा अधिकार है।