‘हिन्दवी उत्सव’ में दिखा हिंदी साहित्यिक जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों का अद्भुत संगम
लखनऊ
रेख़्ता फ़ाउंडेशन के हिंदी साहित्य को समर्पित उपक्रम ‘हिन्दवी’ ने अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगाँठ के अवसर पर आज लखनऊ के प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी में एक भव्य साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘हिन्दवी उत्सव’ का आयोजन किया। देश के विभिन्न भागों से पधारे हिंदी साहित्यिक जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों, स्थानीय साहित्यकारों-बुद्धिजीवियों-पत्रकारों और वृहत पाठक समुदाय की गरिमामयी उपस्थिति से यह एक अविस्मरणीय कार्यक्रम बन गया जिसने लखनऊ की ऐतिहासिक भूमि पर हिंदी साहित्य-संस्कृति के प्रसार में महती योगदान किया।
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवमूर्ति ने हिंदी साहित्य के संरक्षण और प्रचार के महत्व पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की और दर्शकों को अपने गहन शब्दों से प्रेरित किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, ‘‘आने वाले समय में साहित्य अब काग़ज़ तक ही सीमित नहीं रहेगा, तकनीक बहुत आगे जा चुकी है। तकनीक के इस बदलाव का बेहतरीन उपयोग रेख़्ता और हिन्दवी ने किया है। साहित्य को इतने बड़े पैमाने पर डिजिटलाइज़ करने और इस उपक्रम की शुरुआत करने वाले संजीव सराफ़ को शुक्रिया कहना चाहता हूँ। आज के समय में लोग फ़ायदे के लिए निवेश करते है। साहित्य में निवेश धन का सर्वोत्तम उपयोग है।”
‘हिन्दवी उत्सव’ के प्रथम सत्र में ‘कठिन समय में कटाक्ष’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी, कथाकार अखिलेश और लेखिका शालिनी माथुर ने शिरकत की। सत्र का संचालन ममता सिंह ने किया। हरिशंकर परसाई के सौवें वर्ष में श्रीलाल शुक्ल के शहर लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप उक्त विषय का चयन किया गया था। परिचर्चा में वक्ताओं ने समकाल में अभिव्यक्ति की आवश्यकता और इसके ख़तरों पर बौद्धिक संवाद प्रस्तुत किया।
आयोजन के द्वितीय सत्र में ‘कविता-पाठ’ का आयोजन किया गया जिसमें समादृत कवि अरुण कमल, कुमार अम्बुज, अजंता देव, सविता भार्गव और कवि-गीतकार यश मालवीय ने भाग लिया। विभिन्न विषयों पर प्रस्तुत कविताओं ने न केवल एक संवाद का निर्माण किया बल्कि दर्शकों का भरपूर मनोरंजन भी किया. कार्यक्रम का संचालन नवोदित कवयित्री नाज़िश अंसारी द्वारा किया गया।
कविता पाठ के बाद अंतिम सत्र में प्रसिद्ध ‘षडज’ बैंड द्वारा एक आत्मीय संगीत प्रस्तुति दी गई। उनकी प्रस्तुति दर्शकों द्वारा ख़ूब सराही गई और बार-बार तालियाँ बजा उनका स्वागत किया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रेख़्ता फ़ाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ़ ने कहा, “हरिशंकर परसाई के व्यंग्य आज के दौर में जिस हद तक प्रासंगिक हैं, ये बात हैरान कर देने वाली है। मैं इस आयोजन में शरीक होने वाले आदरणीय वक्ताओं, कवियों, कलाकारों और लखनऊ के सुसंस्कृत श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन करता हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने अपनी उपस्थिति से परसाई जी के व्यक्तित्व और साहित्य के उत्सव में चार चाँद लगाए। मैं हिन्दवी टीम को इस कामयाब कोशिश के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ। हम नई पीढ़ी तक हिंदी की साहित्यिक विरासत को पहुँचाने के लिए सदा प्रयासरत रहेंगे।”
‘हिन्दवी उत्सव’ की सफलता हिंदी साहित्य के बढ़ते महत्व और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हिन्दवी हिंदी भाषा और संस्कृति के प्रति गहरे उपार्पण का प्रतीक है और भविष्य में भी इस तरह के बहुमुखी कार्यक्रमों का आयोजन जारी रखने का वादा करता है।