इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अयोध्या मस्जिद भूमि पर महिलाओं का दावा खारिज किया
लखनऊ: अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्ज़िद का रास्ता साफ हो गया है। धन्नीपुर में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई 5 एकड़ ज़मीन पर दो महिलाओं के दावे के वाद को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को ख़ारिज कर दिया।
दिल्ली की दो महिलाओं ने किया था दावा
ग़ौरतलब है कि दिल्ली की रहने वाली दो महिलाओं ने दावा किया था कि प्रशासन ने मस्जिद बनाने के लिए जो 5 एकड़ ज़मीन अलॉट की है, वह उनकी ज़मीन है। सरकारी वकील रमेश कुमार सिंह ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जिस जमीन पर दावा किया गया है उसकी नम्बर महिलाओं की जमीन से अलग है। कोर्ट में दावा करने वाली महिलाओं के वकील ने कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए जल्द ही इन अर्ज़ी दाखिल कर दी गई है। इसको आधार मानते हुए कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता रानी कपूर पंजाबी व रमा रानी पंजाबी ने कहा कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब से आए थे। बाद में वे फ़ैज़ाबाद जनपद में ही बस गए। उस वक्त उन्हें नजूल विभाग में ऑक्शनिस्ट के पद पर नौकरी भी मिल गई थी। उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 1560 रुपये में 5 साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, जनपद फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पानी दिया गया था। पांच साल के बाद भी वह जमीनों पर के परिवार के ही उपयोग में हो रही है और उनके पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से संबंधितित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। हालाँकि, वर्ष 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन के सम्बंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया। संघियों की मां ने एसडीएम के इस कदम के खिलाफ लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिरकार उनके पक्ष में फैसला हुआ।