तीनों काले कृषि कानून किसानों को असुरक्षित कर रहे हैं : ललन कुमार
- यह कानून जमाखोरी को बढ़ावा देंगे, जिससे देश में महँगाई बढ़ेगी। इससे फायदा सिर्फ मोदी मित्रों को होगा
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसानों को गुलामी की ओर ले जाएगी
- मंडियाँ खत्म करने से यदि किसान के हालात सुधरने होते तो बिहार से कोई बाहर मजदूरी करने नहीं जाता
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को लिखित गारंटी देनी ही होगी
- योगी आदित्यनाथ की तानाशाही किसानों को उनके अधिकार लेने से नहीं रोक सकती
लखनऊ: केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए काले किसान कानूनों के विरुद्ध हमारे देश के किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले 32 दिनों से इस हाड़ कंपा देने वाली ठण्ड में आन्दोलन कर रहे हैं। पूरे देश में विरोध की एक लहर देखी जा सकती है। मगर अहम् में चूर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं उनके मंत्री किसानों की माँगों को मानना तो दूर सुनने को भी तैयार नहीं हैं। 40 से अधिक किसान इस ठण्ड में अपनी जान गँवा चुके हैं और हज़ारों किसान बीमार हैं।
आज काँग्रेस के 136वें स्थापना दिवस पर लखनऊ जिले की बक्शी का तालाब (169) विधानसभा में उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी के मीडिया संयोजक ललन कुमार के नेतृत्व में काले किसान कानून वापस लेने के लिए “काँग्रेस सन्देश पदयात्रा” निकाली गयी। भैंसामऊ क्रासिंग से प्रारंभ हुई इस पदयात्रा में हजारों किसान, महिलाएँ, बच्चे एवं युवा शामिल हुए। पदयात्रा को प्रारम्भ में ही पुलिस प्रशासन द्वारा रोक दिए जाने का प्रयास किया गया। विभिन्न गाँवों से आ रहे किसानों को भी उनके गाँव में ही पुलिस ने बंधक बना लिया, कार्यकर्ताओं के चालान काटे गए। मगर यह पदयात्रा पूरी हुई। योगी आदित्यनाथ की तानाशाही किसानों को उनके अधिकार लेने से नहीं रोक सकती। ललन कुमार को भी खेत खलिहान के रास्ते प स्थान पर पहुँचना पडा।
भैंसामऊ क्रासिंग से प्रारम्भ हुई इस पदयात्रा का समापन बक्शी का तालाब पर हुआ। पदयात्रा के बाद मीडिया से बात करते हुए ललन कुमार ने बताया कि : केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कानून किसानों को असुरक्षित कर रहे हैं। यह कानून जमाखोरी को बढ़ावा देंगे, जिससे देश में महँगाई बढ़ेगी। इससे फायदा सिर्फ मोदी मित्रों को होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत यदि किसी किसान के साथ फ्रॉड होता है तो उसे न्याय दिलाने की उचित व्यवस्था नहीं है। मंडियाँ खत्म करने से यदि किसान के हालात सुधरने होते तो बिहार से कोई बाहर मजदूरी करने नहीं जाता। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को लिखित गारंटी देनी ही होगी।