अजय कुमार लल्लू नज़रबंद
लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर ”सच की आवाज दबाने” और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे कांग्रेस के आंदोलन को रोकने का आरोप लगाया। लल्लू ने आज दावा किया, ”कल ललितपुर में गिरफ्तारी के बाद मेरी रिहाई हुई, लेकिन पुलिस मुझे मध्य प्रदेश के छतरपुर लेकर चली गई और जब मेरे लखनऊ न पहुंचने की बात ट्विटर पर ट्रेंड होने लगी तो आनन-फानन में मुझे लखनऊ ले आई। रात को मैं दो बजे अपने आवास पर पहुंचा।”
नज़रबंद करने का आरोप
उन्होंने कहा, ” मुझे आज झांसी जाना था, लेकिन मेरे घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है और यह अलोकतांत्रिक सरकार दमन पर उतर गई है। हमारी आवाज दबाना चाहती है।” प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया, ” मैं ललितपुर से गायों की अस्थियां लेकर आया हूं और मैं अस्थि कलश चित्रकूट की मंदाकिनी नदी में विसर्जित करके रहूंगा।” लल्लू ने दावा किया, ”डालीबाग स्थित उनके घर के बाहर तीन ट्रक पीएसी लगाई गई है।”
शांति-व्यवस्था के मद्देनज़र उठाया क़दम
इस संदर्भ में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि झांसी के जिलाधिकारी का संदेश आया है कि लल्लू को झांसी नहीं आने दिया जाए, इसलिए शांति-व्यवस्था के मद्देनज़र उनके घर के सामने पुलिस बल तैनात किया गया है।” प्रशांत कुमार ने यह भी कहा, ”संभव है कि सुरक्षा के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष को पुलिस छतरपुर ले गई हो, लेकिन उन्हें रात में क्षेत्राधिकारी और उपजिलाधिकारी लखनऊ छोड़कर वापस गये हैं।”
कल निकली थी ‘गाय बचाओ-किसान बचाओ’ पदयात्रा
ललितपुर से चित्रकूट तक ‘गाय बचाओ-किसान बचाओ’ पदयात्रा निकाल रहे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष लल्लू को शनिवार दोपहर ललितपुर पुलिस ने दैलवारा कस्बे के निकट अनेक कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया था और शाम को इन सभी को रिहा कर दिया गया था। शनिवार देर रात कांग्रेस नेताओं ने यह आरोप लगाया कि पुलिस प्रदेश अध्यक्ष की लोकेशन के बारे में नहीं बता रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि झांसी से लखनऊ लाने में आखिर इतनी देरी क्यों हो रही है। लल्लू ने रविवार को कहा, ” बढ़ते दबाव के कारण पुलिस उन्हें लखनऊ ले आई।”
किस बात का है डर
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल उठाया, ” हम अगर गाय और किसान को बचाना चाहते हैं, शांतिपूर्वक यात्रा निकालना चाहते हैं तो सरकार को किस बात का डर है।” लल्लू ने कहा, ” हम गायों और किसानों को मरता नहीं देख सकते हैं। सरकार कोई एक दिन बताए जब हम उसकी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के लिए यात्रा निकाल सकें और प्रदर्शन कर सकें।”