अग्निपथ स्कीम बेरोजगार युवाओं के साथ मजाक: युवा मंच
लखनऊ
सेना में नियमित भर्ती के बजाय 4 साल अवधि की संविदा भर्ती की अग्निपथ स्कीम से युवाओं में जबरदस्त रोष व्याप्त है और इसके विरोध में बिहार समेत तमाम जगहों पर विरोध प्रदर्शन जारी है। युवा मंच ने सेना में संविदा प्रथा की इस बेतुकी स्कीम को तत्काल वापस लेने और सेना में रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है। युवा मंच का मत है कि मोदी सरकार की सेना में 4 साल अवधि की संविदा भर्ती स्कीम बेरोजगारों के साथ मजाक है। दरअसल इस तरह की स्कीम का कोई औचित्य नहीं है।
युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि देश में रोजगार संकट विकराल होता जा रहा है लेकिन मोदी सरकार इसे हल करने के लिए ठोस कदम उठाने के बजाय महज बयानबाजी कर रही है। रेलवे ग्रुप डी और एनटीपीसी की भर्तियां तकरीबन 4 साल से अधर में हैं। अन्य विभागों में भी यही हाल है। केंद्र सरकार के अधीन सरकारी विभागों में 11 लाख से ज्यादा पद अरसे से खाली हैं लेकिन अब लाखों पदों को अनुपयोगी बता खत्म किया जा रहा है या आउटसोर्सिंग/संविदा के तहत भर्ती की जा रही है। रेलवे में 50 फीसदी पदों को खत्म करने की योजना है। बैंकिंग सेक्टर समेत अन्य विभागों में भी पदों को खत्म करने और संविदा/आउटसोर्सिंग के तहत काम कराया जा रहा है। कर्मचारी चयन आयोग में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहले के सापेक्ष रूटीन भर्तियों में 50 फीसद से ज्यादा पदों की कटौती हुई है, दरअसल यही हाल केंद्र सरकार के अन्य विभागों में भी है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार रोजगार सृजन को लेकर उपलब्धियों का महिमामंडन चाहें जो करे लेकिन यहां सच्चाई यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर जो भयावह स्थिति है उससे अलग स्थिति उत्तर प्रदेश में नहीं है। प्रदेश में बैकलॉग पदों भरने से सरकार इंकार कर रही है। स्थिति यह है कि चुनाव के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 27 हजार पदों पर चयन प्रक्रिया की घोषणा की, लेकिन हाल में इस भर्ती का विज्ञापन महज 4163 पदों पर जारी हुआ है।
युवा मंच ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि सरकार केंद्र, राज्यों व सार्वजनिक उपक्रमों-अनुदानित संस्थाओं में रिक्त पड़े 60 लाख से ज्यादा पदों को भरने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा करे, नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग-संविदा और रेलवे, बैंक, बीमा, पावर, कोल आदि पब्लिक सेक्टर के निजीकरण की प्रक्रिया को रोका जाये।