माइक के बाद अब सदन ही म्यूट, कांग्रेस का आरोप
दिल्ली:
विपक्ष अडानी पर हुए खुलासे की जांच के लिए जेपीसी गठन की मांग पर अड़ा हुआ है। संसद में आज भी हंगामा देखने को मिला। हंगामे का एक कारण विपक्ष की आवाज को म्यूट करना भी था। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि विपक्ष जब संसद में अपनी आवाज उठा रहा था उस दौरान लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट बाद ही संसद टीवी पर लोकसभा के लाइव प्रसारण की आवाज को गायब यानी म्यूट कर दिया गया। कांग्रेस ने कहा कि PM मोदी के मित्र के लिए सदन म्यूट है, कांग्रेस ने पूछ क्या ये लोकतंत्र है।
आपको बता दें सुबह 11 बजे लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के सदन में आने के साथ ही सभी सांसदों ने पहले उनका अभिवादन किया और उसके बाद दोनों ही पक्षों की तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई। आसन पर बैठने के बाद बिरला ने प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू की और पहला प्रश्न पूछने के लिए कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी का नाम पुकारा। मनीष तिवारी ने खड़े होकर सवाल पूछना शुरू ही किया था कि इस बीच नारेबाजी और तेज हो गई। इसके कुछ ही सेकेन्ड बाद 11:01 पर संसद टीवी पर लोक सभा के सीधे प्रसारण का ऑडियो गुल हो गया। इसके बाद 18 मिनट तक लोक सभा में जारी हंगामे के दृश्य तो दिखाई दिए लेकिन सदन के अंदर जारी हंगामे और नारेबाजी की आवाज सीधा प्रसारण देखने वाले को सुनाई नहीं दे रहा था।
ऑडियो गुल होने के 18 मिनट बाद 11:19 पर दो बार इसका ऑडियो वापस आया और दोनों बार कांग्रेस सांसदों के नारेबाजी की आवाज सुनाई दी जिसमें वे अडानी मसले पर और राहुल गांधी को बोलने देने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। कुछ ही सेकेन्ड बाद ऑडियो फिर गायब हो गया और जब 11:20 पर इसका ऑडियो वापस आया तो उस समय लोक सभा अध्यक्ष सांसदों से सदन चलने देने का आग्रह करते हुए यह कहते सुनाई दिए कि सांसदों को सदन में नारेबाजी करने के लिए नहीं बल्कि सदन को चलने देने के लिए भेजा गया है.
संसद टीवी का लाइव प्रसारण म्यूट होने पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि वे परेशान थे कि राहुल गांधी ने क्यों कहा कि विपक्षी सदस्यों के माइक बंद कर दिए जाते हैं। आज तो लोकसभा ही म्यूट कर दिया गया। और क्या सबूत चाहिए!!
वहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जनता द्वारा चुने गए सांसदों को संसद में बोलने का अवसर ना देना एवं लोकसभा की कार्यवाही म्यूट करवाना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। यह देशवासियों की आवाज शांत करने का प्रयास है। क्या इसे स्वस्थ लोकतंत्र कहा जा सकता है? इन्हीं मुद्दों को लेकर राहुल जी ने भारत जोड़ो यात्रा की थी।