अयोध्या के बाद अब मथुरा का मामला कोर्ट में
कृष्ण जन्मभूमि परिसर का मालिकाना हक़ देने और शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग
नई दिल्ली: अयोध्या में शुरू राम मंदिर निर्माण के बीच मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मामला अब कोर्ट में पहुंच गया है। कृष्ण जन्मभूमि परिसर को लेकर मथुरा की कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया है। इसमें 13.37 एकड़ पर दावा करते हुए मालिकाना हक मांगा गया है और मुकदमा दायर करने वाले की तरफ से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।
1968 के समझौते को गलत बताया
हिन्दू देवता भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया है। यह मामला भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है।
समझौता अवैध
याचिका में कहा गया है, “ट्रस्ट की प्रबंधन समिति मस्जिद ईदगाह ने 12 अक्टूबर 1968 को सोसाइटी श्री कृष्णा जनमस्थान सेवा संघ के साथ एक अवैध समझौता किया और दोनों ने अदालत, वादी देवी और भक्तों पर धोखाधड़ी करने और कब्ज़ा करने की दृष्टि से धोखाधड़ी की।“
जबरन ईदगाह मस्जिद का नाम दिया गया
याचिका के मुताबिक मुगल सम्राट औरंगजेब, जिसने 31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1707 ई तक भारत पर शासन किया। उस दौरान बड़ी संख्या में हिंदू धार्मिक स्थलों और मंदिरों के विध्वंस के आदेश जारी किए थे। अपने याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा, “यह 1669-70 में मथुरा के कटरा केशव देव, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर खड़ा था। औरंगजेब की सेना आंशिक रूप से केशव देव मंदिर को ध्वस्त करने में सफल रही और निर्माण को जबरन रूप से ईदगाह मस्जिद का नाम दिया गया था।“