सेना से जुड़ी भ्रामक ख़बरें देने वालों पर हो कार्रवाई: प्रमोद तिवारी
- छद्म युद्ध की घोषणा करने की सजा दोषियों को मिलनी चाहिए
- सेना द्वारा कल ‘सर्जिकल एयर स्ट्राईक’ की खबर के खंडन के बाद कांग्रेस ने उठाया सवाल
लखनऊ: कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तथा आउट रीच कमेटी, उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने कहा है कि भारतीय सेना के उन वीर जवानों को, जिन्होंने कल जम्मू से कश्मीर में ट्रक पर जाते हुये, जिस पर काफी मात्रा में अस्त्र शस्त्र थे, 4 आतंकियों सहित ट्रक को उड़ाकर एक साहसिक कार्य किया है, इसके लिये भारतीय सेना सहित उन वीर जवानों को नमन ।
सेना ने खबर का किया खंडन
उन्होंने कहा कि शाम को ही एक खबर न्यूज चैनल्स पर चलायी गयी कि भारत ने (पाक अधिकृृत कश्मीर) में एक जबरदस्त ‘‘सर्जिकल एयर स्ट्राईक’’ किया, जिसमें पाकिस्तान के आतंकवादियों को भेजने वाले लांचिक पैड को नेस्तनाबूत कर दिया गया, और बड़ी तादाद में पाकिस्तानी सैनिक, जो आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे रहे थे और उन्हें भेजने में सहायक थे, वे मारे गये । इस खबर को देश के लगभग सभी न्यूज चैनल्स ने, खासतौर से अर्नब गोस्वामी के भारत न्यूज चैनल ने बढ़ा चढ़ाकर गैर जिम्मेदाराना तथा सनसनी खेज ढंग से चलाया, जिससे सारे देश में उत्सुकता और सीमावर्ती क्षेत्र में दहशत फैल गयी । देशवासियों की उत्सुकता और चिन्ता को देखते हुये भारतीय सेना के सैन्य अभियानों के महानिदेशक लेफ्टीनेण्ट जनरल परमवीर सिंह ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि ‘‘यह खबर फर्जी और झूॅठी हैं।
सेना ने न्यूज़ चैनल्स को दोष नहीं दिया
श्री तिवारी ने कहा कि मैं, किसी न्यूज चैनल को दोषी नहीं ठहराता, और न ही उनका कोई दोष है जिन्होंने सूत्रों से मिली खबर को आधार बनाया था क्योंकि सूत्रों से मिली खबर को चलाना एक सामान्य प्रक्रिया है जिसका न्यूज चैनल्स ने पालन किया, इसलिये वे दोषी नहीं है ।
आखिर कौन था खबर का सूत्रधार
श्री तिवारी ने कहा है कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबर का सूत्र क्या था ? और इसका सूत्रधार कौन था ? तथा इसका उद्देश्य क्या था ? मैं भारतीय सेना को शत शत नमन करते हुये उनके इस खण्डन की कार्यवाही की सराहना करता हूँ ऐसी भ्रामक अफवाह के फैलने से आखिर किसका फायदा होता ? निःसंदेह जो लोग फायदा उठाना चाहते थे उनके मंसूबे धरे के धरे रह गये- परन्तु आखिर ऐसा क्यों हुआ ? किसके इशारे पर किया गया ? इसका सूत्रधार कौन था ? और इसका राजनैतिक लाभ कौन लेना चाहता था ? इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और इसके परिणाम से देश वासियों को अवगत कराना चाहिए, कि क्यों इतना बड़ा राजनैतिक षड़यंत्र किया गया ? जिसे भारतीय सेना ने नकार दिया, छद्म युद्ध की घोषणा करने की सजा दोषियों को मिलनी चाहिए ।
इससे पहले चीन से जुड़ी खबर भी सवालों के घेरे में
श्री तिवारी ने कहा है कि इस खबर को उस खबर से भी जोड़कर देखा जा सकता है कि दीपावली के ठीक पहले यह खबर आई थी कि भारत- चीन के बींच यह समझौता हुआ है कि चीन की सेना अपने सभी अनाधिकृृत निर्माण को हटा लेगा और 2.00 किमी. उसकी सेना पीछे चली जायेगी । किन्तु दूसरे दिन ही ‘‘चीन सरकार’’ के अधिकृृत समाचार पत्र ने इसका खण्डन कर दिया, और आज तक न तो चीन ने अनाधिकृृत निर्माण गिराये तथा न ही चीन ने अपनी सेना पीछे हटाई है। ऐसा दावा भारतीय सेना ने अभी तक नहीं किया है कि चीन ने अनाधिकृृत निर्माण हटा लिये अथवा उसकी सेना पीछे हटी है ।
भूटान में चीन का अतिक्रमण भारत के लिए चिंता
श्री तिवारी ने कहा है कि आज देश वासियों को एक और खबर चिंतित करती है कि भूटान, जिसके सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत की है, और देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीया इन्दिरा गांधी ने संधि की थी कि बाहरी आक्रमण से भूटान की सुरक्षा भारत करेगा, आज चीन दो मील भूटान के अंदर आकर एक पूरा गांव बसा लिया है, यह भूटान की सम्प्रभुता पर अतिक्रमण है, सामरिक दृृष्टि से इसका और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है क्योंकि यह ‘‘डोकलाम’’ के निकट है । और भूटान से संधि का खुला उल्लंघन है, जिसकी रक्षा करने में भारत असफलत साबित हुआ है । देश इसकी सच्चाई जानना चाहता है ।
सेना से जुड़ी भ्रामक ख़बरें देने वालों पर हो कार्रवाई
भारतीय सेना से जुड़ी भ्रामक खबरे देना, जिसका लाभ कुछ लोग उठा सके, इसका सूत्रधार कौन है? इसकी सच्चाई देष के सामने आनी चाहिए । भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास, उसकी क्षमता- दक्षता, शौर्य और अभूतपूर्व साहस को नमन करता हूँ । यदि सेना को निर्देष दिया जाय तो वह अपने बल पर चीनी अतिक्रमण को हटाकर देश का ‘‘तिरंगा झण्डा’’ लहरा सकती है ।