लखनऊः
उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में आज सेन्ट्रल कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग.इन.चीफ एन0एस0 राजा सुब्रमणि पीवीएसएम एवीएसएम एसएम वीएसएम ने संस्थान के छात्रों को अपने प्रेरणादायक व्याख्यान से लाभान्वित किया। व्याख्यान सत्र का शुभारम्भ यूपीएसआईएफएस के निदेशक डॉ0 जी0के0 गोस्वामी ने अपने सम्बोधन से किया ।
इस अवसर पर आयोजित व्याख्यान सत्र के मुख्य अतिथि रहे श्री एन0एस0 राजा सुब्रमणि ने संस्थान के छात्रों को अपने भीतर “लीडरशिप को कैसे विकसित करें “ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने नेतृत्व विकसित करने 12 गुणों को विस्तार से बताया जिसमे टीमवर्क, सहयोग, अनुशासन , समय प्रबंधन, विचारशीलता,जोखिम लेने की क्षमता और जीवन के नैतिक मूल्य आदि शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रणनीति अकेले पर्याप्त नहीं होती उसका क्रियान्वयन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण होता है।
श्री एन0एस0 राजा सुब्रमणि ने अपने जीवन यात्रा को भी छात्रों से साझा करते हुए बताया कि उन्होंने 16.5 वर्ष की आयु में एनडीए में प्रवेश लिया और तब से सेना में सेवा के साथ-साथ सीखते आ रहे हैं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। उन्होंने कहा कि सफलता केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का ही नहीं होना चाहिए बल्कि सफलता के लिए इन्सान का व्यापक दृष्टिकोण होना आवश्यक है। जनरल सुब्रमणि ने छात्रों से कहा कि दूसरों को दोष देने के बजाय आत्म निरीक्षण करना चाहिए उन्होंने प्रौद्योगिकी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो लोग तकनीकी रूप से अशिक्षित रहेंगे वह दुनिया की दौड़ में पीछे रह जाएंगे। उन्होंने स्थिरता, तेज परिवर्तन और तकनीकी परिवर्तन के लिए नेतृत्व गुणों की आवश्यकता पर चर्चा की।
इस अवसर पर अतिथि प्रवक्ता श्री उपेन्द्र गिरि ने अपने व्याख्यान में जीवन करियर और रिश्तों को संवारने की जिम्मेदारी पर जोर दिया। आत्म.जागरूकता की अवधारणा को रेखांकित करते हुए बताया कि आत्म.जागरूकता कैसे व्यक्ति की ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में मदद करती है। उन्होंने आज की दुनिया में सफल होने के लिए थ्री एच के फारमूले हेड,हैंड और हार्ट को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होने कहा कि दिल ,दिमाग और हाथ के समन्वय से कुछ भी हासिल किया जा सकता है परन्तु इसमें किसी एक के अभाव से सफलता आपसे कोसो दूर हो जायेगी।
UPSIFS के निदेशक डॉ0 जी0 गोस्वामी ने विशिष्ट वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि मेरे विचार से छात्र पहले खुद का नेतृत्व करें फिर दूसरों का नेतृत्व करने की आकांक्षा रखें , उन्होंने शरीर के अंगों के उदाहरण का उपयोग करके समन्वय के महत्व को समझाया और छात्रों को प्रेरित किया कि अंत तक हार न मानें। उन्होंने कहा कि सफलता अनुभव नहीं देती बल्कि असफलता अनुभव देती है और असफलताओं को विफलता के रूप में न देखते हुए उनसे सीखना महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर निदेशक डॉ0 गोस्वामी ने व्याख्यान सत्र मे आये अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में अपर निदेशक श्री राजीव मल्होत्रा, ब्रिगेडियर श्री एनआर पाण्डेय, उपनिदेशक श्री चिरंजीव मुखर्जी, प्रशासनिक अधिकारी श्री अतुल कुमार यादव,जनसम्पर्क अधिकारी श्री संतोष तिवारी सहित सभी संस्थान के शिक्षकगण और छात्र मौजूद रहे ।