दिल्ली के 97 प्रतिशत लोग साइकिल को बनाना चाहते हैं आवागमन का माध्यम: स्टडी
नई दिल्ली: ‘दिल्ली धड़कने दो’ अभियान के द्वारा कराये गये अभिज्ञता अध्ययन (perception study) के मुताबिक लगभग दिल्ली के 1400 सौ लोगों में से 97 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने रोज़ाना के आवागमन के माध्यम के रूप में साइकिल का उपयोग करने की इच्छा जतायी हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक, सुरक्षित और सुविधाजनल साइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव, डेडिकेटेड साइक्लिंग लाइंस का न होना, दूषित वायु और अनियंत्रित ट्रैफिक के चलते दिल्ली के ज्यादातर लोग साइकिल की सवारी नहीं कर पा रहे हैं।
दिल्ली, बदरपुर की निवासी और सर्वेक्षण में शामिल प्रतिक्रियादाता, मुद्रा ने कहा, ”हमें रोज़ाना काम के लिए बाहर निकलना पड़ता है और इस महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग के पालन का ख्याल रखते हुए बसों का उपयोग नहीं कर सकते हैं। ऑटो या रिक्शा की सवारी इतनी महंगी है कि उससे रोज़ाना काम पर नहीं जाया जा सकता है। समस्या यह है कि कार, बस और साइकिल सभी एकसाथ एक ही लेन में चलती हैं, ऐसे में यदि मैं अपने परिवार के लिए रोजीरोटी का जुगाड़ करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए साइकिल का इस्तेमाल करूं तो यह मेरे व मेरे परिवार के लिए खतरा मोल लेने जैसा होगा। यदि यहां डेडिकेटेड साइक्लिंग लेन्स बन जाये, तो इससे अधिकांश पुरुषों और मेरी जैसी महिलाओं की जिंदगी आसान हो जायेगी।”
गौरतलब हो कि दिल्ली सरकार के हाल के अनुमान बताते हैं कि शहर में लगभग 1.1 मिलियन नियमित साइकिल उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी से पहले की है, हालिया रुझानों से संकेत मिलता है कि संख्या बढ़ेगी। आईआईटी- दिल्ली और आईआईटी-रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए एक प्रारंभिक अध्ययन से पता चलता है कि दिल्ली में साइकिल चालकों की संख्या 4 प्रतिशत से बढ़कर 12% हो गई है।
अभियान #DilliDhadakneDo के जरिये राजधानी दिल्ली को भारत के 1st साइक्लिंग-फ्रेंड्ली शहर बनाने में सहायता करने हेतु अभियान चलाया जा रहा है और दिल्ली सरकार के यहां पीटिशन दायर किया है कि दिल्ली में नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लाई जाये, जिसमें दो पहलुओं को प्राथमिकता मिले; क) साइकिल के लिए लेन बनाने को प्राथमिकता दिया जाना और ख) परिवहन के कोविड-प्रूफ साधन के रूप में हर किसी को साइकिल के उपयोग की अनुमति देना।
इस याचिका उद्देश्य ‘नॉन-मोटराइज्ड व्हीकल एक्ट’ लागू करने और पैदल व साइकिल से चलने वालों के हितों की रक्षा हेतु नियम शामिल करने के लिए दिल्ली सरकार से अपील करना है, जिनमें निम्न मांगें शामिल हों:
दिल्ली की सभी सड़कों पर अस्थायी साइक्लिंग लेन्स का निर्माण
- मौजूदा साइक्लिंग लेन्स का अपग्रेडेशन ताकि साइकिल चालकों के लिए अधिक सुरक्षित व कनेक्टेड नेटवर्क बनाया जा सके
- दिल्ली के सभी स्कूलों के चारों ओर 5 कि.मी. के दायरे में सुरक्षा त्रिज्या बनाना, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके
- बाजारों और एसोसिएशंस के लिए डेडिकेटेड नि:शुल्क साइकिल पार्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर अनिवार्य बनाना
- सरकारी कार्यालयों के लिए डेडिकेटेड साइकिल पार्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर सुनिश्चित किया जाना
दिल्ली में आवागमन की भयानक वास्तविकता पर जोर देते हुए, स्वेच्छा के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख भारतीय पर्यावरणविद, विमलेंदु झा ने कहा, ”दिल्ली में साइकिलों के माध्यम से आजीविका चलाने वाले 91 प्रतिशत लोग हर रोज़ साइकिल चलाकर अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, लेकिन क्या हमारी सड़कें सुरक्षित तरीके से पैदल और साइकिल से चलने के लिए डिजाइन की गयी हैं? इसका उत्तर है, जाहिर तौर पर नहीं। दिल्ली के लगभग 11 लाख साइकिल चालकों के लिए, मात्र 100 कि.मी. साइकिल ट्रैक है। यही नहीं, दिल्ली कई वर्षों से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है।’
दिल्ली की सड़कें सबके लिए हैं” – यह दोहराते हुए, राहगिरीडे की सह-संस्थापक, सारिका पांडा भट्ट ने कहा, “दिल्ली में अभी भी गतिशीलता के संकट से निपटना जरूरी है और शहर को पैदल चलने और साइकिल चलाने की योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे कारण के लिए खड़े हों, जो दिल्ली में चलने वालों और साइकिल चालकों की सुरक्षा के लिए मजबूत कानूनों की मांग करता है। मैं खुद एक कार का उपयोग नहीं करता और पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन के अभाव में अपने चक्र पर शहर के चारों ओर घूमता हूं। अभियान ने गैर-मोटर चालित परिवहन (NMT) के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने और दिल्ली के वायु प्रदूषण संकट से निपटने के समाधान के रूप में वकालत की।