‘90% असफल छात्र जाते हैं विदेश पढ़ने, मोदी के मंत्री का बयान
मोदी के मंत्री नवीन की मौत का मखौल उड़ा रहे हैं: रागिनी नायक
टीम इंस्टेंटखबर
यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच छात्रों के विदेश में पढ़ने पर विवादित बयान देकर मोदी सरकार के मंत्री प्रह्लाद जोशी लोगों के निशाने पर आ गए हैं. संसदीय मामलों, कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि विदेश में पढ़ने वाले 90 फीसदी मेडिकल स्टूडेंट नीट एग्जाम पास नहीं कर पाते हैं.
हालांकि बाद में उन्होंने ये भी कहा कि अभी इस मुद्दे पर बहस करने का यह सही वक्त नहीं है. लेकिन उससे पहले ही बयान चर्चाओं में आ चुका था. कांग्रेस, NCP नेताओं ने प्रह्लाद जोशी को घेरा है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रह्लाद जोशी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का अपमान किया है. वहीं NCP सांसद सुप्रिया सुले ने लिखा कि यूक्रेन में फंसे छात्रों और उनके पेरेंट्स दोनों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं. इस बीच हमारा फोकस भारतीय यात्रियों को सुरक्षित निकालने पर होना चाहिए. मुझे यह सोचकर चिंता होती है कि ऐसे माहौल में भी हमारे कुछ मंत्री कठोर, असंवेदनशील और गैर जिम्मेदार बयान दे रहे हैं.
कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने भी प्रह्लाद जोशी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि प्रह्लाद जोशी के खिलाफ एक्शन होना चाहिए. फेल होने वाले 90 फीसदी बाहर पढ़ने जाते हैं से उनका क्या मतलब है? रागिनी बोलीं, ‘अगर आप किसी का दुख साझा नहीं कर सकते तो इस तरह के बयान तो ना दें. आप उसकी (नवीन) मौत का मखौल उड़ा रहे हैं. पीएम मोदी और प्रह्लाद जोशी को माफी मांगनी चाहिए.
बता दें कि यूक्रेन जैसे देश भारतीयों के लिए मेडिकल की पढ़ाई करने के किफायती ऑप्शन हैं. यूक्रेन, रूस समेत ऐसे ही दूसरे देशों में पांच साल में करीब 30 लाख रुपये खर्च करके MBBS की पढ़ाई पूरी की जा सकती है. वहीं भारत में इसका खर्च 70 लाख तक पहुंच सकता है. इसके साथ-साथ सीमित सीटों की वजह से दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं.
यूक्रेन और रूस जैसी जगहों पर जाकर पढ़ने की दूसरी वजह यह भी है कि यहां के मेडिकल कॉलेजों को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने मान्यता दी हुई है और इनकी भारत के साथ-साथ यूरोपियन काउंसिल और मेडिसिन, जनरल मेडिसिन काउंसिल ऑफ यूके में भी मान्यता है. जिससे छात्रों के पास विकल्प खुल जाते हैं. विदेश से MBBS करने के बाद भारत में आकर इन छात्रों को एक टेस्ट भी देना होता है, हालांकि, उसका पासिंग पर्सेंट बहुत ज्यादा नहीं होता.