नई दिल्ली: कोरोना महामारी की आंच अब खाड़ी देश कुवैत (kuwait) में काम कर रहे भारतीयों पर पड़ने लगी है| कुवैत की नेशनल असेंबली कमेटी ने प्रवासी कोटा बिल को मंजूरी दे दी है जिसके कारण 8 लाख भारतीय को देश छोड़ना पड़ सकता है।इस बिल के मुताबिक खाड़ी देश में विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम करने की मांग की गई है। नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने इस बिल को संवैधानिक मानते हुए मंजूरी दी है।

क्या कहता है बिल
बिल के मुताबिक खाड़ी देश में भारतीय नागरिकों की आबादी 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। गल्फ न्यूज (gulf news) ने कुवैत के एक अखबार का हवाला देते हुए कहा है कि इससे 8 लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है। देश में बड़े पैमाने पर करीब 1.45 मिलियन भारतीय रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबा अल खालिद अल सबाह (sheikh sabah al khalid al sabah) ने प्रवासियों की कुल 70 फीसदी आबादी को घटाकर 30 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।

क्यों उठाया गया है यह क़दम
वर्तमान में कुवैत की जनसंख्या 4.3 मिलियन है, जिसमें से कुवैत की आबादी 1.3 मिलियन है। बाकि की 3 मिलियन आबादी दूसरे देशों की है, जो यहां रहते हैं। तेल की कीमतों में भारी गिरावट और कोरोनो महामारी संकट की वजह से लगातार इस बात को उठाया जा रहा है। कानूनविद और सरकारी अधिकारियों ने कुवैत में विदेशियों की संख्या को कम करने का आह्वान सरकार से किया है।

जनसँख्या संरचना एक वास्तविक समस्या
असेंबली स्पीकर मारजुक अल-घनम ने कुवैत टीवी (kuwait tv) को बताया है कि वो और कानूनविदों के एक समूह कुवैत में प्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए बिल को असेंबली में पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि यदि ये बिल असेंबली में पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा। कुवैत टाइम्स से स्पीकर मारजुक ने कहा कि देश के पास जनसंख्या संरचना को लेकर एक वास्तविक समस्या है। क्योंकि यहां 70 फीसदी आबादी दूसरे देशों की हैं। जो सबसे गंभीर बात है वह यह कि कुवैत कि 3.35 मिलियन आबादी में से 1.3 मिलियन आबादी या तो अनपढ़ हैं या केवल लिख-पढ़ सकते हैं। कुवैत को इनकी जरूरत नहीं है।