लखनऊ
भाकपा (माले) ने 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विसंगति को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच द्वारा नए सिरे से नियुक्ति सूची बनाने के दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की ताजा रोक को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि अपना हक पाने के लिए वंचित शिक्षक अभ्यर्थियों का लखनऊ में धरना-प्रदर्शन जारी है। हाई कोर्ट के फैसले के क्रियान्वयन के लिए भी वे लगातार संघर्ष करते रहे। तब से लेकर योगी सरकार की चुप्पी सवाल खड़े कर रही थी। इसके पहले चार साल से उलझाए रखा और आरक्षण को लागू करने में किसी तरह की विसंगति से ही इनकार करती रही। जब हाई कोर्ट का फैसला आया, तो उसे लागू करने की दिशा में क्या कार्यवाही हो रही है, इसके बारे में अभ्यर्थियों को जानकारी नहीं दी गई न ही उन्हें इस बारे में संतुष्ट किया गया।

इससे लगा कि प्रदेश सरकार हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक का इंतजार ही कर रही थी। सरकार के रुख से एक बार फिर यह संदेश गया है कि वह मामले में न्याय करने के बजाय इसे टालने के बहाने ढूंढ रही है। भाजपा का आरक्षण विरोध नया नहीं है, न ही दलितों पिछड़ों की हकमारी नई है। बहरहाल, अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 25 सितंबर को होनी है। माले नेता ने उम्मीद जताई कि संघर्ष की जीत होगी और सरकार के ‘आरक्षण घोटाले’ के शिकार आंदोलनरत अभ्यर्थियों को शीर्ष अदालत से न्याय मिलेगा।