लखनऊ:
इंडियाज डॉटर्स कैंपेन (आईडीसी) ने सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से पुरुषों एवं लड़कों को लैंगिक न्याय के चैंपियन बनने के लिए संगठित और शिक्षित करने का आह्वान किया। बैठक में 40 से अधिक गैर सरकारी संगठनों और सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। सरकारी स्कूलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सुरक्षा, प्रार्थना, एएएलआई, मिलन, एक्शन एड, वात्सल्य, शभागी शिक्षण केंद्र और एएमएस जैसे संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

इंडियाज डॉटर्स कैंपेन की प्रभारी प्रियंका सक्सेना ने कहा कि ‘”सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के गठबंधन का उद्देश्य इस तथ्य से उपजा है कि लैंगिक असमानता को दूर करने के अधिकांश प्रयास पूरी तरह से लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं। जबकि आवश्यक यह है कि लड़के भी उत्पीड़न का विरोध करना और इसे समाप्त करने के लिये आगे आएं।’

लिंग असमानता पर चर्चा के केंद्र में लड़कों और पुरुषों को आईडीसी अभियान में साथ लाते हुए इस बात पर चर्चा को केंद्रित करता है कि पुरुषों को सत्ता और परिवर्तन क्यों छोड़ना चाहिए?

SHEF की संस्थापक और सी.ई.ओ डॉ उर्वशी साहनी ने कहा कि “लड़कों और पुरुषों को अपनी सोच और तरीके बदलने होंगे ताकि देश की सभी बेटियां और महिलाऐं सुरक्षित महसूस करें । हम बेटियों और महिलाओं को सशक्त तो कर सकते हैं लेकिन अगर हमारे बेटे और पुरुष एक सामान और सुरक्षित समाज का निर्माण नहीं करेंगे तो देश आगे नहीं बढ़ेगा।”

आईडीसी का उद्देश्य पुरुषों और लड़कों को सक्रिय और लैंगिक न्याय के पैरोकार बनने के लिए शिक्षित करना है। लैंगिक असमानता को दूर करने के अधिकांश प्रयास पूरी तरह से लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं। जबकि यह भी जरूरी है कि लड़के और पुरुषों को आगे आना होगा और साथ मिल कर यह लड़ाई लड़नी होगी, तथा इसका विरोध करना और समाप्त करना होगा।

हमसफर संस्था से रितु ने कहा कि “हम इस संयुक्त प्रयास को आगे बढ़ा सकते हैं और इसके लिए हमे बच्चों को मर्दानगी और लड़कपन को नयी तरह से परिभाषित करना सीखना होगा ताकि वह इसकी महत्वपूर्णता समझे और एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकें ।”

लैंगिक सलाहकार आसिया ने बताया कि “बच्चों को बचपन में समानता का पाठ सीखना होगा और पिता को अपने बच्चों के लिए अच्छे उदाहरण स्थापित करने होगें” । सरकारी स्कूल शिक्षक विवेक कुमार यादव ने कहा कि “बदलाव की शुरुआत खुद से होनी चाहिये तभी हर घर और हर समुदाय तक पहुंचेगा।” यह बैठक स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन (SHEF) द्वारा आयोजित की गई थी।