मई दिवस पर मोदी का नया नारा ‘लेबर्स यूनाइट द वर्ल्ड’
बलिया: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्रमिक दिवस पर ‘लेबर्स यूनाइट द वर्ल्ड’ का नारा देते हुए कहा कि 21वीं सदी की बदली हुई परिस्थितियों में इस मंत्र के साथ दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। मोदी ने यहां प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ करते हुए कि एक मई को पूरा विश्व श्रमिक दिवस के रूप में मनाता है। आज देश का, यह मजदूर नम्बर एक, देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को और देश को आगे बढ़ाने में उनके श्रम को कोटि-कोटि नमन करता है।
दुनिया को एक नया नारा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्व में ‘‘दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ’’ का नारा दिया जाता था जिसमें राजनीति की स्वाभाविक बू स्वाभाविक थी। जो लोग इस विचार को लेकर चले थे वे आज धीरे-धीरे दुनिया के राजनीतिक नक्शे से अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं।
मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में दुनिया के मजदूरों की एकजुटता के आहवान मात्र से काम चलने वाला नहीं है। इस सदी की आवश्यकताएं और स्थितियां अलग हैं। ‘‘लेबर्स यूनाइट द वर्ल्ड’’ इस सदी का मंत्र हो सकता है। इस मंत्र के साथ आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। इसे जोड़ने के लिए सबसे बड़ा केमिकल है तो वह मजदूर का पसीना है। इसमें दुनिया को जोड़ने की ताकत है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने श्रम कानूनों में अनेक बदलाव किए हैं। इसके तहत कभी मात्र 15, 50 या 100 रुपये मासिक पेंशन पाने वाले श्रमिकों को उनकी सरकार ने अब न्यूनतम एक हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था की है। इसके अलावा श्रम सुविधा पोर्टल शुरू किया है, जिसके तहत आठ अहम श्रम कानूनों को एक कर उनके सरलीकरण का काम किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर श्रमिक को एक विशेष लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया गया ताकि उसकी पहचान बन जाए और उसे अवसर मिलें। साथ ही एक नेशनल सर्विस पोर्टल भी बनाया गया है, ताकि श्रमिक और नियोजक के बीच तालमेल हो सके। इसके अलावा बोनस सम्बन्धी कानून में भी बदलाव कर कामगारों को लाभ पहुंचाया गया है।
प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने देश को कई प्रधानमंत्री दिये हैं लेकिन ऐसे क्या कारण रहे कि हमारी गरीबी और गरीबों की संख्या बढ़ती ही गयी। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के साथ जीना नहीं, बल्कि सरकारों के आगे हाथ फैलाने के लिये मजबूर करके भी छोड़ दिया। उसका जमीर खत्म कर दिया। गरीबी से लड़ने का हौसला तबाह कर दिया।