ईशनिंदा क़ानून के दायरे में लाई जाय: शाह मुहम्मद क़ादरी
आशिक़े रसूल फ़्रंट का जंतर मंतर पर धरना कल
नई दिल्ली: पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब और सभी धर्म गुरुओं के प्रति अपमानजनक बातें करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए।इस सिलसिले में आशिक़े रसूल फ़्रंट कल दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर ईशनिंदा को कानून के दायरे में लाने की मांग करेगी ।
यहाँ पत्रकारों से बातचीत में फ़्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी शाह मुहम्मद क़ादरी ने बताया कि फ़्रंट के लोग शनिवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर जुटेंगे और यह माँग करेंगे कि भारत के दंड संहिता में ईशनिंदा क़ानून के हवाले से कोई विधि नहीं है जिसका फ़ायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्व पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के प्रति अपमानजनक बातें लिखते, बोलते, पढ़ते या प्रसारित करते हैं। यह मुसलमानों के लिए बेहद संजीदा और लज्जाजनक बात है। शाह मुहम्मद ने बताया कि इतना ही नहीं वह इस क़ानून के माध्यम से श्रीराम, ईसा मसीह, महात्मा बुद्ध, गुरू नानकजी और हज़रत मूसा के प्रति नफ़रत का भाव रखने वालों को भी दंडित करवाना चाहते हैं। इसलिए फ़्रंट चाहता है कि नया विस्तृत ईशनिंदा क़ानून संसद में पारित करवाकर पैग़म्बरों और धर्म गुरुओं के प्रति नफ़रत फैलाने वालों को क़ानून के दायरे में लाया जाए। उन्होंने कहाकि ईशनिंदा क़ानून में फाँसी की सज़ा तक का प्रावधान होना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति समुदाय विशेष की भावनाओं से खेलने की कोशिश नहीं करे। उन्होंने सलाह दी कि सेक्शन 153 (ए) यानी ‘हेट स्पीच लॉ’ को संशोधित, परिवर्तित और संवर्धित करके ईशनिंदा क़ानून के रूप में विकसित किया जा सकता है।
आशिक़े रसूल फ़्रंट के संस्थापक अध्यक्ष हाजी शाह मुहम्मद क़ादरी ने कहाकि धर्म, जाति और नस्ल के आधार पर नफ़रत पर उनकी संस्था कड़ी सज़ा की माँग करती है। इसी प्रकार चमड़ी के रंग, पहचान, क्षेत्र और जन्म स्थान के आधार पर नफ़रत करने वालों को भी ईशनिंदा क़ानून के दायरे में लाकर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि क़ानून में अधिकाधिक अपराधियों और अभियुक्तों को लाया जा सके। उन्होंने कहाकि शनिवार को फ़्रंट के दिल्ली के जंतर मंतर पर दिए जाने वाले धरने से हम संसद को यह संदेश देना चाहते हैं कि पूर्व में कमलेश तिवारी समेत जिन्होंने भी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के प्रति जो भी नफ़रत और विकृति का भाव दिखाया था भारत का मुसलमान उससे क़ानूनी तरीक़े से निपटना चाहता है। वह ना तो कभी क़ानून को अपने हाथ में लेता है और ना ही वह कभी यह चाहता है कि उसके प्यारे वतन में क़ानून और व्यवस्था में व्यवधान पैदा हो लेकिन इसका तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं कि वह अल्लाह और उसके रसूल के प्रति बकवास करने वालों को सहन करेगा। क़ादरी ने कहाकि इसीलिए हम यह भी चाहते हैं कि श्रीराम, ईसा मसीह, महात्मा बुद्ध, गुरू नानकजी और हज़रत मूसा के प्रति नफ़रत का भाव रखने वालों को भी दंडित किया जाए।
फ़्रंट के महासचिव सय्यद ज़ुल्फ़िकार अली उर्फ़ आलम ने कहाकि संगठन की यह पहली कोशिश है और हमने कोशिश की है कि संसद की चालू कार्यवाही के दौरान ही हम अपनी बात जंतर मंतर से संसद तक पहुँचाएँ। हमारी कोशिश होगी कि इस दिशा में कठोर क़ानून बने और इसके लिए जो भी संवैधानिक, क़ानूनी और आधिकारिक मार्ग होंगे हम उनका इस्तेमाल कर क़ानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। फ़्रंट ने अपने कार्यक्रम के लिए पूरे दिल्ली शहर में पोस्टर लगाए हैं, अख़बारों में इश्तेहार दिए हैं और शनिवार सुबह लोगों के जंतर मंतर तक आने जाने के लिए बसों का इंतज़ाम भी किया है।