केंद्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा दरिद्रों एवं असहाय व्यक्ति-परिवारों के लिए अनेक जन-कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। यथा नगर-गांव क्षेत्रों के दरिद्रों हेतु सरकारी आवास, शौचालय, छात्रवृत्तियाँ, बीमा, अनुदान, निःशुल्क शिक्षा-इलाज, बिना ब्याज ऋण, कृषि अनुदान, निःशुल्क बोरिंग-हैंडपम्प, पशु-चारा अनुदान, असहाय वृद्धा-विधवा-समाजवादी-विकलांग पेंशन, महात्मागांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी एवं खाद्य सुरक्षा गारंटी योजना-2013 के अन्तर्गत कंगालों को पूर्व की भांति अन्त्योदय राशन कार्ड पर 90 रूपए में 35 किलो अनाज, चीनी, किरोसिन तथा बी.पी.एल.एवं ए.पी.एल राशनकार्ड धारकों को जिनकी शहरी आय 3 लाख वार्षिक एवं ग्रामीण आय 2 लाख वार्षिक को पात्र गृहस्थी मानकर 5 किलो प्रति व्यक्ति राशन दिया जाना उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2016 से लागू किया गया है। जब कि कुछ राज्यों में पूर्व से यह व्यवस्था लागू है। यह नियम-व्यवस्था प्रत्येक 3 वर्ष बाद विचारोरान्त लागू होगी। केंद्र एवं प्रदेश सरकारें सरकारी एवं अनुदानित प्राइमरी एवं जूनियर विद्यालयों के छात्रों को निःशुल्क पुस्तकें, पोशाकें, मध्यान्य भोजन, दूध, फल, वेतनिक शिक्षक तथा आंगनबाड़ी में 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पौष्टिक भोजन, दूध, खिलौने, स्वास्थ्य जांच, विद्यालय पूर्व की शिक्षा तथा नारियों के मातृत्व धारण करने के उपरांत पैष्टिक भोजन, दूध, फल, स्वास्थ्य जाँच-चिकित्सा एवं गर्भवती को किश्तों में 6000 रूपए मुहैया करा रही है। 

मैं दरिद्रों की समस्याओं के निर्धारण हेतु उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जनपद के 7 नगर क्षेत्रों के सभी वाडर्स एवं 149 ग्रामसभाओं के मजरों-बस्तियों का भ्रमण-निरीक्षण-जनसम्पर्क कर चुकी हूँ तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनपद फर्रूखाबाद के नगर-गांव क्षेत्रों के दरिद्रों को पंजीकृत कर जिनको इंदिरा-लोहिया- कांशीराम आवास, शौचालय, समाजवादी-असहाय विधवा-वृद्धावस्था, बिकलांग पेंशन एवं अन्त्योदय-बी.पी.एल.राशन लाभ दिया जा रहा है उनके घर जाकर उनकी वास्तविक स्थित का अवलोकन कर उनसे सामूहिक रूप से बातचीत कर चुकी हूँ। जिसके परिणाम स्वरूप सभी अन्त्योदय राशन कार्ड धारी एवं अधिकांश बी.पी.एल. पात्रता प्राप्त किए तथा असहाय-समाजवादी पेंशनर्स लगभग 80-95 प्रतिशत अपात्र पाए हैं जिनमंे अधिकांश व्यक्ति-परिवारों के पास बड़े लेंटर मकान, शहरों में हवेलियाँ, मोटरसाइकिल, कार, ट्रेक्टर, थ्रेसर, ट्यूबबेल, फ्रिज, कूलर, रंगीन डिस टी.वी., कम्प्यूटर्स, गैस कनेक्शन, ट्रक, दूकान, धंधे, उद्योग, व्यापार, नौकरी, भूमि, प्लाट्स, मिल, प्रतिष्ठान, पैतिृक धन-सम्पत्ति आदि का स्वामित्त्व एवं सक्षम व्यक्ति-परिवार मिले हैं। अधिकांश असहाय विधवा-वृद्धा पेंशनर्स के लड़के-लड़की शादी-शुदा एवं सम्पन्न्ा व्यक्ति-परिवार मिले हैं। अनेक बिकलांग पेंशनर्स ऐसे मिले हैं जो शारीरिक रूप से पूर्ण सक्षम या चोट लगने से शारीरिक अंगों में थोड़ा सा परिर्वतन (40 प्रतिशत से कम) होने एवं पर्याप्त आय होने के बावजूद बिकलांग पेंशन प्राप्त कर रहे हैं तथा अनेक व्यक्ति एक ही परिवार के माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, बहू, बेटी, दामाद होने के बावजूद अनेक पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इस प्रकार दरिद्रों के लिए बनीं सरकारी कल्याण योजनाओं का लाभ दरिद्रों के स्थान पर फर्जी दरिद्र अर्थात् रहीस लेते मिले हैं जिसके कारण जहाँ सरकारी योजनाओं का भारी मात्रा में धन का दुरूपयोग हो रहा है वहीं वास्तविक दरिद्रों की स्थिति निर्धारण करने में विशेषज्ञों को अत्यन्त परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और देश की वास्तविक दरिद्रता निवारण के संबंध में सही नीति का निर्धारण हो पाना संभव प्रतीत नहीं हो पा रहा है।

दरिद्रों के कल्याण के लिए बनीं योजनाओं में निर्धारित मानकों की उपेक्षा कर फर्रूखाबाद जनपद में रजिस्टर्ड-फर्जी दरिद्रों द्वारा अर्थात् रहीसों द्वारा बड़ी मात्रा में दरिद्रों का गेंहू, चावल, तेल, चीनी, सरकारी इंदिरा-लोहिया-कांशीराम आवास, जमीन-प्लाट पट्टा, उद्योग, बीमा, समाजवादी-वृद्धा-विधवा-विकलांग पेंशन, दान-अनुदान एवं राष्ट्रीय सम्मान आदि फर्जीबाड़ा से हड़प कर गंभीर वित्तीय अनियमितताएं की जा रही हैं। सांसद-विधायक निधियों एवं हैंडपम्प तथा विकास का धन सार्वजनिक स्थलों-स्कूलों के स्थान पर न लगाकर रहीसों के निजी आवासों, प्लाटों, प्रतिष्ठानों, स्कूलों में लगाए गए/जा रहे है। राशन-कोटे की दूकानें महिलाओं या बाहरी रहीसों के नाम आबंटित होकर पैतिृक विरासत के रूप में दबंग कोटा लेकर राशन-तेल ब्लैक कर रहे हैं और यह दूकानें नियमित न खुलकर माह में मात्र एक-दो दिन खुलकर सरकारी कर्मचारियों की अनुपस्थित में राशन वितरण की खानापूर्ति हो रही है। इन कोटे की दूकानों का ब्लैक राशन बाजार की दूकानों पर खुले आम बिक रहा है। गांवों के अधिकांश ग्राम सचिवालयों, सहकारी, स्वास्थ्य भवनों के कक्षों में दबंग-रहीसों ने ताले डालकर अवैध कब्जा कर लिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकांश केंद्र-उपकेंद्रों पर चिकित्सक की जगह फार्मासिस्ट-सफाई कर्मी-आशाएं रोगियों का इलाज कर रहे हैं जबकि अनेक चिकित्सक-कर्मचारी केंद्र-उपकेंद्रों पर यदाकदा जाकर उपस्थित खानापूर्ति कर रहे हैं। प्राइमरी एवं जूनियर स्कूलों के शिक्षकों एवं प्रबंध समितियों का फर्जीबाड़ा अत्यन्त गंभीर है। अधिकांश प्राथमिक-जूनियर विद्यालयों की पंजीकृत छात्र संख्या अधिक एवं वास्तविक छात्रों की संख्या-उपस्थित अत्यन्त कम है। इस संबंध में बताया गया है कि, अधिकांश छात्र प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के बावजूद उनके नाम शिक्षक नौकरी कायम रखने एवं अनुदेशकों के नाम पर वेतन भुगतान लेने के उद्देश्य मात्र से दर्ज की गई है। इन विद्यालयों की प्रबंध समिति के अधिकांश अध्यक्ष-पदाधिकारियों एव रसोइयों की पदासीनता अमानक एवं अवैध है। प्राइमरी एवं जूनियर स्कूलों में पढ़ाई का स्तर अत्यन्त निम्न एवं फर्जीबाड़ा से सार्वजनिक धन-सम्पत्ति का घोटाला अत्यन्त उच्च है जहाँ छात्रों का मिड डे मील मंे उबले चावल देने की खानापूर्ति कर पुस्तकों, पोशाकों, नमक, साबुन, छात्र कल्याण आदि धन फर्जी छात्र संख्या दर्ज कर हड़पा जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर यदा-कदा दो-चार छात्रों को बैठाकर फर्जी संख्या के आधार पर शिशुओं, कुपोषितों, धात्रियों, किशोरियों, के नाम पर पौषिटक भोजन, दूध, खिलौनों, दवाओं एवं मातृत्व कल्याण धन हड़पा जा रहा है जहाँ की अधिकांश कार्यकत्रियाँ-सहायिकाएं नेताओं, प्रधानों, अधिकारियों-कर्मचारियों के संबंधों एवं दबंग-दहशत का लाभ उठाकर आंगनबाड़ी केंद्रों से सदैव गायब रहती हैं तथा पंजीरी 200 रूपए प्रति बोरी की दर से ब्लैक कर शिशु-मातृ के स्थान पर भैंसों को खिलवा रहीं हैं। ग्रामों में स्वीपर पद पर अधिकांश उच्च जाति-वर्ग के व्यक्ति पदासीन हैं जो स्वयं गलियाँ-नालियाँ सफाई नहीं करते हैं और बाल्मीक जाति के व्यक्तियों को काम पर लगाकर 200 रूपए दिहाड़ी मजदूरी देकर यदा-कदा ग्राम-सफाई कार्य  की खानापूर्ति कराते हैं तथा ग्राम-प्रधानों एवं ए.डी.ओ. पंचायतों को वेतन का कुछ हिस्सा नियमित रूप से देकर अपने फर्जी कार्य की उपस्थित के हस्ताक्षर प्रमाणित कराकर स्वयं बिना काम किए वेतन के नाम पर सरकारी धन हड़प कर गंभीर वित्तीय अनियमितताएं करने में जुटे हुए हैं। इस तरह रहीस व्यक्ति-परिवार फर्जी दरिद्र बनकर सरकारी सुख-सुविधाओं को भोग कर मौज कर रहे है। जबकि वास्तविक दरिद्र ए.पी.एल.धारक या बी.पी.एल.से प्रथक होने से बुरी तरह दरिद्रता ग्रसित व संघर्षरत हैं।

केंद्र-प्रदेश सरकार द्वारा संचालित सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभ की पात्रता, आवेदन, स्वीकृत एवं धन आबंटन की औपचारिक प्रक्रिया निर्धारित है। जिसमें शासन के प्रशासकों, अधिकारियों, कर्मचारियों की निगरानी एवं जबाबदेही उत्तरदायित्त्व निर्धारित है। इसके बावजूद रहीसों द्वारा दरिद्र कल्याण योजनाओं के लाभों का दुरूपयोग तथा वास्तविक दरिद्रों की पात्रता एवं हितों की उपेक्षा देश-समाज के लिए अत्यन्त घातक है।

सुझाव-दरिद्रों के कल्याण हेतु बनीं योजनाएं-अन्त्योदय, बी.पी.एल. एवं असहाय पेंशन- विधवा, वृद्धा, बिकलांग, समाजवादी पेंशन, बाल-मातृत्व लाभ, मिडडेमील, दरिद्र छात्र-वृत्ति, राशन-तेल वितरण, दरिद्र सब्सिडी तथा दरिद्रो के लिए आवासों एवं शौचालयों आदि के आबंटन में निर्धारित मानकों के अनुरूप मात्र दरिद्र व्यक्ति-परिवारों को ही दरिद्र लाभ दिया जाना चाहिए तथा अपात्र-फर्जी दरिद्रों को दरिद्र कल्याण योजनाओं के लाभ से तत्काल प्रथक-प्रतिबंधित किया जाना चाहिए तथा फर्जी दरिद्रों को दिया जा रहा दरिद्र लाभ भुगतान तत्काल रोक कर रिकवरी एवं दंडनीय कार्यवाही होनी चाहिए।

डाॅ.नीतू सिंह तोमर,

एम.ए.,पी-एच.डी.समाजशास्त्र,

पोस्ट डाॅक्टोरल फेलो, यू.जी.सी.दिल्ली-110002