कैदियों को भी नहीं संभाल पा रहे हैं अखिलेश: पाठक
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि प्रदेश में लगातार बढ़ती गुण्डागर्दी व अराजकता को रोक पाने में असफल रही अखिलेश सरकार से जेल में बंद कैदी भी संभाले नहीं संभल रहे है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रदेश की जेलों में चल रहे वसूली के खेल में रसूखदार कैदियों के लिए कारागार सुविधा केन्द्र बन गये है। पार्टी प्रवक्ता ने देवरिया जेल में हुए विवाद के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाई की मांग की।
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने देवरिया के जिला कारागार में कैदियों और पुलिस के बीच हुई हिसंक झड़पों और अराजकता के लिए कैदियों से जेलों के भीतर हो रही अवैध वसूली के खिलाफ उपजे असंतोष का नतीजा बताया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने जिस क्षमता व योग्यता का मूल्याकंन कर दूसरे राज्य से आये व्यक्ति को प्रदेश में कारागार मंत्री की जिम्मेदारी सौपी वे अपने दायित्वों को संभाल पाने में पूरी तरह असफल साबित हुए।
उन्होंने कहा कि राज्य के कारागार मंत्री स्वयं यह स्वीकार करते है कि प्रदेश भर की जेलों में भ्रष्टाचार चरम पर है। कैदियों में वसूली कर उन्हें सुविधाएं मुहैया हो रही है। फिर आखिर ऐसी कौन सी मजबुरी है कि जेलो के भीतर बढ़ रहे भ्रष्टाचार व अवैध वसूली को रोक पाने में कारागार मंत्री नाकाम हो रहे है। जाहिर है भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की सपाई नीति सारी इच्छा शाक्ति और र्निणयों पर हावी है। इसलिए सब कुछ जानने समझने के बावजूद उस दिशा में कदम नहीं उठाये जाते है। यह सरकार घटनाओं से सबक भी नहीं लेना चाहती आये दिन राज्य की जिलो में देवरिया में हुए संदर्भ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है, किन्तु सरकार अपने कारणों से इस ओर से आंखे मूदे हुए है।
श्री पाठक ने कहा वाराणसी, बदायूं और अब देवरिया जेल में हुई बड़ी घटनाओं से स्पष्ट है कि सरकार का लगातार इकबाल घट रहा है। राज्य में हालात यह है कि दविश देने गए पुलिसकर्मी को अपराधी गोली मार दे रहे है और साथी पुलिसकर्मी डर के मारे गोली लगे साथी को छोड़कर भाग खड़े हो रहे है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा जेल तक में हथियार पहुंच रहे है। विवाद के समय फायरिंग तक की सूचनाऐं आती है। भारी मात्रा में नशीले पदार्थ पहंुच रहे है तो जाहिर है बिना मिली भगत के यह संभव नहीं है। फिर बार-बार इस तरह की स्थिति के दृष्टिगत आखिर इस गठजोड़ को तोडेगा कौन ?