राजनीति समाज सेवा का एक सशक्त माध्यम है: राम नाईक
राज्यपाल राम नाईक के संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेती !!‘ का मुंबई में विमोचन
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरेैवेती ! चरैवेती !!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने आज मुंबई के यशवंत राव चव्हाण प्रतिष्ठान मुंबई में किया। इस अवसर पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे सहित राज्यपाल राम नाईक के परिजन व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्यपाल राम नाईक ने विमोचन के पश्चात् अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘मेहनत और ईमानदारी की राह पर चलकर आम आदमी भी देश का नेता बन सकता है, यह विश्वास मेरे जीवन के संस्मरण दिलायेंगे।‘ राजनीति समाज सेवा का एक सशक्त माध्यम है। लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ जनता की छोटी से छोटी समस्या को समझकर उसका समाधान करना आदर्श राजनीति के उच्च मापदंड हैंै। उन्होंने कहा कि स्वहित से ऊपर उठकर सर्वहित का ध्यान रखना ही स्वस्थ राजनीति की पहचान है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने श्री नाईक की सराहना करते हुए कहा कि राजनीति में कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जहाँ आप अपने आप विनम्र हो जाते हैं, राम नाईक उनमें से एक हैं। लोकप्रिय नेता होने के साथ श्री नाईक भारतीय जनता पार्टी में शायद पहले राष्ट्रीय नेता हैं जिन्होंने नयी पीढ़ी को मौका देने के लिए स्वयं चुनावी राजनीति का त्याग किया।
गौरतलब है कि श्री नाईक का जन्म महाराष्ट्र के सूखा पीडि़त देहात आटपाडी के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता एक छोटे से स्कूल में मुख्य अध्यापक थे। पिता के आकस्मिक देहांत के कारण कम उम्र में ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी श्री नाईक के कंधे पर आ गयी थी परन्तु विपरीत परिस्थितियों का सामना सकारात्मक सोच के साथ करते हुए वे आगे बढ़ते गए। राजनीति के माध्यम से देश सेवा का उन्होंने संकल्प लिया। कुछ ही वर्षों में राजनीति में अपना स्थान बनाकर वे विधायक, सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री बने। जनहित से जुडे़ छोटे से छोटे मामले को उठाकर उन्होंने जनता के बीच अपनी पहचान बनायी। वे लोकसभा चुनाव हारे परन्तु अडिग विश्वास के साथ जनहित के कार्यों में रत रहें। राज्यपाल श्री नाईक द्वारा समाचार पत्र ‘सकाळ‘ में अपने संस्मरण बड़ी रोचक शैली में लिखे गये, जिसकी पाठकों ने प्रशंसा की तथा सुझाव दिये कि संस्मरणों को एक पुस्तक का रूप प्रदान किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर जोशी व श्री सुशील कुमार शिंदे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री नाईक के साथ मुंबई एवं लोकसभा में साथ बिताये हुए दिनों के संस्मरण साझा किये। श्री सुशील कुमार शिंदे ने सुझाव दिया कि संस्मरण संग्रह का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए, श्री मनोहर जोशी ने भी पूरी गर्मजोशी से इस बात का समर्थन किया।
प्रकाशक श्री आनंद लिमये ने कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन दिया तथा संयोजक श्री आशीष शेलार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।