लखनऊ में हनुमान जी को चढ़ें 21 चोले और उतरावाॅ में लगा 56 भोग
लखनऊ: लोक परमार्थ सेवा समिति के सौजन्य से राजधानी के उदयगंज वीर हनुमान मन्दिर पर समिति राजधानी के विभिन्न मंदिनों में 21 चोले चढ़ाकर प्रभु श्री हनुमान की जयंती मनाई गई। चोले चढ़ाने की शुरूआत उदयगंज के भव्य हनुमानी मन्दिर से की गई जिसमें सरोजनीनगर विधायक श्री शारदा प्रताप शुक्ला के साथ उप निदेशक विद्युत सुरक्षा लखनऊ रीजन और राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव उपस्थिति मे चोला चढ़ाया गया। यह जानकारी समिति के प्रवक्ता श्रीश शर्मा ने दी।
श्री शर्मा ने बताया कि इस तरह शहर के अन्य हनुमान मन्दिरों में चोले चढ़ाने के उपरान्त राजधानी के नजदीक निगोहा स्थित उतरांवा गाॅंव में गोबर और मिट्टी से निर्मित तीन सौ वर्ष पुरानी हनुमान प्रतिमा को 56 भोग का प्रसाद नागा संत के दौरान वीर हनुमान की प्रतिमा का भव्य श्रंगार करने उपरान्त चढ़ाया गया। ग्रामीणों की उपस्थित में कार्यक्रम में उप निदेशक विद्युत सुरक्षा लखनऊ रीजन और राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव,समाजसेवी शैलेन्द्र सिंह चैहान, लालू भाई, जितेन्द्र सिंह और कई ग्राम प्रधान,गांव के निवासी शामिल हुए। 56 भोग से पूर्व इस मन्दिर में चित्रकूट से पधारे संत अनुष्ठान सम्पन्न कराया गया। ग्रामीणों ने मन्दिर के बारे में बताया कि निगोहा के उतरावां गांव स्थापित इस 300 वर्ष प्राचीन श्री हनुमान मंदिर में हनुमान जी के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते है। मंदिर प्रांगण में ही शिवालय भी बना हुआ है जो काफी जर्जर अवस्था में आ चुका है। हनुमान जी की मूर्ति और शिवालय की गुम्बद व दीवारों की स्थिति को देखकर मंदिर की प्राचीनता आसानी से जानी जा सकती हैं।राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र निगोहां से लगभग 12 किमी0 अंदर उतरावां गांव है। इस गांव में 300 वर्ष पूर्व एक संत जिन्हें लोग बाबा जगन्नाथ दास के नाम से जानते थे, आये। उस समय इस गांव में बहुत सीमित घर थे और आबादी भी बहुत कम थी, चारों तरफ जंगल था। यह महात्मा गांव में ही रहने लगे और पेड़ पर बैठकर अक्सर बासुंरी बजाते थे और गाय का दूध पीकर हरि नाम संकीर्तन करते हुए जीवन यापन करते थे। बाबा जगन्नाथ दास जी ने उसी दौरान गाय के गोबर व मिट्टी को मिलाकर श्री हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर गांव में पूजा अर्चना प्रारम्भ कर दी। मंदिर के समीप ही राम तल्लैया और लक्ष्मण तल्लैया है। बाबा जगन्नाथ जी की मष्त्यु के उपरांत इसी गांव में समय-समय पर तीन और महात्मा आये और मंदिर में आज भी चारों महात्माओं की समाधि बनी हुई है।वर्ष 2011 में राजधानी लखनऊ से एक श्रद्धालु भक्त इस मंदिर में आये हनुमान जी के दर्शन के उपरांत उन्होनें 5100 रू0 इसी गांव के निवासी शैलेन्द्र प्रताप सिंह को दिये और अनुरोध किया कि मंदिर का जीर्णोद्धार प्रारम्भ करवाये। शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने भी यह संकल्प लिया कि मंदिर के जीर्णोद्धार में जितना भी ईंटा लगेगा वह निःशुल्क देगें। मंदिर का जीर्णाेद्धार करवाने हेतु जैसे ही जेसीबी मशीन मंगवाई गयी, मशीन खराब हो गयी और यह क्रम दो बार हुआ। इसके बाद मंदिर की खुदाई करते समय सांप और बिच्छू निकल आये और काम रूक गया, इसी दौरान मंदिर में नागा समुदाय के साधु आये और उन्होनें कहा कि मंदिर में चार समाधि है। समाधि और साधना स्थल को अलग अलग कर दिया जाये तो काई रूकावट नहीं आयेगी। तब श्रद्धालु भक्तों ने रूद्राभिषेक करवाया और गौ माताओं को भोजन आदि करवाकर मंदिर के जीर्णोद्धार में कोई भी रूकावट न आने की प्रार्थना की। इसके बाद कार्य सुचारू रूप से प्रारम्भ हुआ और मंदिर की बाउन्ड्री बनकर तैयार हो गयी। अभी भी धीरे-धीरे मन्दिर में कार्य समय-समय पर हो रहा है। इस मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को नियमित रूप से सुंदर काण्ड का पाठ होता है।