पीएम मोदी से हुई मुसलामानों की समस्याओं पर बातचीत: कल्बे जवाद
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद आज इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुसलमानों की समस्याओं पर विशेष चर्चा हुई, प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जाति और धर्म के आधार पर किसी की मदद नहीं करते। हम ने कहा कि आपकी सरकार गरीबी और पिछड़ेपन के आधार पर मदद करती है तो देश में सबसे गरीब और पिछड़े मुसलमान हैं और मुसलमानों में शिया समुदाय गरीबी और पिछड़ेपन का शिकार और हर तरह की सुविधा से वंचित है।इस लिये मुसलमानों और शियों के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया जाये। प्रधानमंत्री ने इस पर कहा कि हमारी सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मौलाना ने कहा कि प्रधानमंत्री से बातचीत के दौरान हमने शिया वक्फ के विनाश का भी उल्लेख किया, प्रधानमंत्री ने कहा कि संबंध में हर संभव कोशिश की जाएगी और आगे भी इस संबंध में अधिक बातचीत होगी। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों और शियों की समस्याओं को हल करने के लिए और वक्फ की बर्बादी रोकने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे।
मौलाना ने वक्फ के विनाश और इमाम बाड़ों को मनोरंजन स्थल बनाने के प्रशासन और सरकार के रवैये की निंदा करते हुए कहा कि वक्फ के विनाश और इमामबाड़ों को मनोरंजन स्थल बनाने के लिए प्रशासन ने हमेशा शियों का ही सहारा लिया है।हुसेनाबाद ट्रस्ट में जितना भ्रष्टाचार हुआ हैं शियों के ही माध्यम से हुआ हैं। मौलाना ने बडे इमामबाड़े में एक फिल्म के गाने की शूटिंग पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन शियों की गेरत आ इमतेहान ले रहा है, इमामबाड़े के अंदर फिल्म के गाने की शूटिंग की गई जिसमें डांस के सीन फिल्माये गये है ये निंदनीय है। अगर शिया कौम और मौलवी हजरात अभी भी चुप रहे तो सरकार इसी खामोशी का लाभ उठाकर इमाम बाड़ों को अय्याशी का अड्डा बनादेगी ।
मौलाना ने कहा कि इस संबंध में शियों को अपनी ताकत का एहसास दिलाना आवश्यक है । जलद ही इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा होगी कि कब और कहाँ इस ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा। मौलाना ने कहा कि राज्य में 50 के करीब ऐसी सीटें हैं जहां शिया वोट निर्णायक हैसियत रखते हैं इस लिये हमें एकजुट होकर प्रषसन और सरकार के अत्याचार और दुर्व्यवहार का मुकाबला करना होगा। मौलाना ने कहा कि प्रशासन के खिलाफ बोलने का परिणाम है कि मेरा पासपोर्ट जब्त किया गया है। इस तरह दूसरे मौलवी हजरात को डराने की कोशिश भी की गई कि अगर उन्होंने सरकार या प्रशासन के जुल्म और नाइन्साफी के खिलाफ बोलने का साहस किया तो उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा।