क्या मोदी के महू जाने से बाबा साहब के सपने पूरे होंगे: केजरीवाल
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि रोहित वेमुला को ‘छात्रों के बीच बी आर अंबेडकर की बात करने के लिए’ आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया। उन्होंने साथ ही घटना के लिए जिम्मेदार ‘दो मंत्रियों’ को बर्खास्त करने की भी मांग की। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी हमला करते हुए पूछा कि क्या अंबेडकर की तस्वीरों पर माल्यार्पण करने भर से दलित नेता के सपने पूरे हो जाएंगे और कहा कि ‘‘देश में अभिव्यक्ति की कोई आजादी नहीं है। उन्होंने कहा, वेमुला को छात्रों में बाबासाहब की बात करने के लिए आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया। सांवैधानिक पदों पर बैठे लोग उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे जिन्होंने रोहित को आत्महत्या के लिए मजबूर किया? क्या प्रधानमंत्री के महू जाकर उनकी (अंबेडकर) तस्वीर पर माल्यार्पण करने से बाबासाहब के सपने पूरे हो जाएंगे?’’
मुख्यमंत्री ने कहा, बाबासाहब ने तीन शब्द दिए थे – स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा.. वे कहते हैं कि कश्मीर में भारत माता की जय का नारा मत लगाइए और बाकी देश में जो यह नारा नहीं लगाता उन्हें पीटते हैं। देश में अभिव्यक्ति की कोई आजादी नहीं है। कोई समानता नहीं है। कोई भाईचारा नहीं है। वे एक को देशभक्त कहते हैं और दूसरे को राष्ट्रविरोधी, एक को कश्मीरी दूसरे को गैर कश्मीरी, एक को जेएनयू वाला और दूसरे को गैर जेएनयू वाला। उन्होंने मोदी की तरफ साफ इशारा करते हुए कहा कि संविधान का मजाक बनाने वाले लोगों को अंबेडकर की जन्मस्थली पर उनपर माल्यार्पण कर उनका सम्मान करने का ‘दिखावा’ नहीं करना चाहिए। वे देश को बांट रहे हैं।
गौरतलब है कि अंबडेकर की जयंती पर प्रधानमंत्री ने उनकी जन्मस्थली महू जाकर उन्हें पुष्पांजलि दी। केजरीवाल ने दलित नेता की 125वीं जयंती के मौके पर यहां के तालकटोरा स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि मोदी देश नहीं हैं, आरएसएस संसद नहीं है और मनुस्मृति संविधान नहीं है। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की मांग की है जबकि प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह ‘आरक्षण के पक्ष में’ हैं तो भाजपा किसको ‘बेवकूफ’ बना रही है।
केजरीवाल ने आप को गरीबों और दलितों की पार्टी बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार स्कूलों के पाठ्यक्रम में ‘सावरकर’ को शामिल करना चाहती है जबकि दिल्ली सरकार की योजना अंबेडकर की ‘शिक्षाएं’ देने की है।