भारत और सूरीनाम के सात पीढ़ियों के संबंध: आसिफ़ इक़बाल
भारत और सूरीनाम के सात पीढ़ियों के संबंध हैं। आज भी इस दक्षिण अमेरिकी देश की आबादी में 33 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग रहते हैं। सूरीनाम में भोजपुरी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और भारत की भोजपुरी फ़िल्में और हिन्दी सिनेमा वहाँ बेहद लोकप्रिय है। सूरीनाम में भारत के लिए ग़ज़ब का प्यार देखने के लिए मिलता है और यह कहा जा सकता है कि सूरीनाम अमेरिकी महाद्वीप का दूसरा भारत है। इन्हीं सब मुद्दों पर हमने सूरीनाम के वाणिज्य महादूत आसिफ़ इक़बाल से खुलकर बात की।
प्रश्न. आप भारत और सूरीनाम के संबंधों पर प्रकाश डालिए?
आसिफ़ इक़बाल: भारत और सूरीनाम के संबंध सत्रहवीं सदी से हैं जब डच साम्राज्य भारतीयों को सूरीनाम लेकर आए। ख़ासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को बहुतायत में ले जाया गया यही वजह है अमेरिकी प्रायद्वीप में सूरीनाम में सबसे अधिक भारतीय मूल के लोग पाए जाते हैं। वहाँ दीपावलीए ईद और होली को राष्ट्रीय अवकाश रहता है। सूरीनाम में लक्ष्मीनारायण और स्वामीनारायण के मंदिर ही नहीं बल्कि वह दुनिया का अकेला देश है जहाँ सिनेगॉग (यहूदी मंदिर) और मस्जिद एक साथ है। सूरीनाम इन अर्थों में धार्मिक सहिष्णुता वाला देश और समुदाय है। हमें भारत के सहिष्णुता के संदेश को और फैलाना चाहिए।
प्रश्न. उत्तर और दक्षिण अमेरिकी में सूरीनाम बेहद विशिष्ट भौगोलिक स्थिति में हैए चूँकि वहाँ भारतीय पहचान है तो क्या उस प्रायद्वीप में इसका फ़ायदा भारत को मिलता है?
आसिफ़ इक़बाल: भारत को इसका फ़ायदा मिलता है। भारत के सांस्कृतिक संदेश को सूरीनाम ही क्यों गयाना और टोबेगो और त्रिनीदाद में भी भारत की छवि को सूरीनामी लेकर जाते हैं। सूरीनाम में बहुत अधिक योग केन्द्र हैं और सूरीनाम के योग अध्यापक जब भी पड़ोसी देशों में जाते हैं तो वह भारतीय सांस्कृतिक पहचान के वाहक बनकर जाते हैं।
प्रश्न: हाल ही में सूरीनाम के उपराष्ट्रपति अश्विनी अधिन ने भारत का दौरा किया हैए इसका क्या मक़सद था?
आसिफ़ इक़बाल: उपराष्ट्रपति अश्विनी अधिन साहब श्री श्री रविशंकर के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में सूरीनाम की तरफ़ से भाग लेने के लिए भारत पधारे थे। अमेरिकी प्रायद्वीप में आर्ट ऑफ़ लिविंग का सबसे बड़ा केन्द्र सूरीनाम में है। अर्जेंटीना और ब्राज़ील के लोग जो आर्ट ऑव लिविंग के लिए बंगलुरू आते थेए वह आजकल सूरीनाम आते हैं। अश्विनी अधिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निजी बुलावा भेजा था। उपराष्ट्रपति के साथ सूरीनाम का प्रतिनिधिमंडल भी आया था जिसमें से कई लोग अभी बंगलुरू में आर्ट ऑव लिविंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और बहुत जल्द वह लौट जाएंगे।
प्रश्न: भारत और सूरीनाम के संबंधों को और गहरा करने के लिए और क्या प्रयास किए जा सकते हैं?
आसिफ़ इक़बाल: सूरीनाम में प्रमुख राजनीतिक दल का नाम विश्व हिन्दुस्तानी पार्टी है जो भारतीय मूल के लोग चलाते हैं। भारत ने सूरीनाम के लिए ई वीज़ा की सुविधा दी है और जो भारतीय सूरीनाम जाना चाहते हैं उनके लिए सूरीनाम भी ई वीज़ा की सुविधा देने जा रहा है।
प्रश्न: दोनो देशों के बीच व्यापारिक संबंध कैसे हैं?
आसिफ़ इक़बाल: भारतीय विदेश मंत्रालय के कई अनुदान और उदार ऋण (सॉफ़्ट लोन) की कई योजनाएँ चलती हैं और इसको बढ़ाया भी गया है। पिछले वर्ष भारत ने तीन चेतक हेलीकॉप्टर अनुदान के रूप में सूरीनाम को दिए हैं। भारत ने टेलीकम्यूनिकेशन और टाटा ने सड़क मार्ग विकास में काफ़ी काम किया है। भारत सूरीनाम के प्रति काफ़ी सहयोगात्मक रवैया अपनाता है।
प्रश्न: आप एशिया अरब चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स में भी हैंए इसके बारे में बताइए?
आसिफ़ इक़बाल: एशिया अरब चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स का काम अरब और एशिया को क़रीब लाना है। मिसाल के तौर पर पिछले वर्ष हमने मोरक्को गए तो हमने देखा कि यहाँ के संतरों की ब्रुनेई में काफ़ी आवश्यकता है और मोरक्को को ब्रुनेई के तेल की। यह परस्पर व्यापार है जिसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत एक ऐसा स्थल है जहाँ से इन दोनों प्रायद्वीपों को जोड़ा जा सकता है। इसमें कई पूर्व नौकरशाह मदद दे रहे हैं और चैम्बर के अध्यक्ष पूर्व कैबीनेट मंत्री कृष्णकुमारजी की अध्यक्षता में हम बेहतर कार्य कर रहे हैं।
प्रश्न: आप मुसलमानों की स्थिति को लेकर काफ़ी गंभीर हैं और एक थिंक टैंक पर भी कार्य कर रहे हैंए इसके बारे में बताइए?
आसिफ़ इक़बाल: हमारे थिंक टैंक का नाम तवाज़ुन फ़ाइंडेशन है जिसके उद्गाटन बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा ने किया था। हमारे साथ ब्रिटिश इस्लामिक यूनियनए यूरोपीय मुस्लिम लीग, यहूदी मुस्लिम संवाद समिति और कई अन्य संगठन जो शांति के लिए कार्य कर रहे हैं उन्हें हम अपने साथ जोड़ रहे हैं। हमारा मानना है कि पूरे विश्व में शांति के लिए भारत के मुसलमान एक दिशा दे सकते हैं। भारत में मुसलमान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
प्रश्न: हाल ही में जयपुर में सुन्नी मुसलमानों की प्रतिनिधि सभा तंज़ीम उलेमा ए इस्लाम और भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेश ऑफ़ इंडिया ने भारत सूरीनाम संबंधों को मज़बूत करने के लिए कार्यक्रम किया। आपकी इस पर क्या टिप्पणी है?
आसिफ़ इक़बाल: यह अच्छा प्रयास है। सूफ़ीवाद भारत में ही नहीं बल्कि उस्मानिया ख़िलाफ़त से लेकर पूरी दुनिया तक सबसे कामयाब संस्कृति के रूप में सूफ़ीवाद ने जगह बनाई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूफ़ीवाद को प्रश्रय दिया है। भारत और पूरी दुनिया के लिए यह आवश्यक है। सूफ़ीवाद सहिष्णुता और सहअस्तित्व पर ज़ोर देता है। सूफ़ीवाद वहाबी विचारधारा के विरुद्ध है और इसे आगे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
प्रश्न: क्या आप मानते हैं कि वहाबियत ;वहाबिज़्मद्ध एक समस्या है?
आसिफ़ इक़बाल: बिल्कुल। सऊदी अरब से लेकर इराक़ और सीरिया तक जो भी समस्या आप देख रहे हैं वह वहाबिज़्म के कारण है। वहाबिज़्म में धर्मभिरुता है और वह ज़बरदस्ती को बढ़ावा देता है। वहाबिज़्म को प्रश्रय देने वालों को रोका जाना चाहिए। इसके बरअक्स जितना हो सकेए सूफ़ीवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
प्रश्न: आप कोई विशेष टिप्पणी करना चाहेंगे?
आसिफ़ इक़बाल: भारत में मुस्लिम लीडरशिप में मुख्यधारा के पढ़े लिखे लोगों को आगे आना चाहिए। चाहे वह नौजवान होंए शिक्षकए वकील हों उन्हें अगुवाई करनी चाहिए। धार्मिक लीडरशिप को राजनीति से दूर रखने की आवश्यकता है। इसके लिए शिक्षित मुस्लिम नौजवानों को राजनीति में आना चाहिए।