‘पनामा पेपर्स’ में सामने आये भारतीय रईसों की होगी जांच
नई दिल्ली: पीएम मोदी ने उन 500 भारतीयों की जांच के आदेश दिए हैं, जिनके नाम ‘पनामा पेपर्स’ में सामने आए हैं। दुनियाभर के रईसों के वित्तीय लेनदेन की पोल खोलने वाले एक करोड़ 15 लाख दस्तावेज़ लीक हो गए हैं, जिन्हें ‘पनामा पेपर्स’ कहा जा रहा है। इनमें फिल्मी सितारों और उद्योगपतियों सहित 500 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं।
पनामा टैक्स लीक्स मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि कई जांच एजेंसियों की मामले पर नजर है। जांच में जिनके अकाउंट्स गैरकानूनी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर सीबीडीटी और आरबीआई सहित कई एजेंसियों को मिलाकर एक जांच समिति का गठन किया जाएगा। यह जांच समिति खुलासों की जांच करेगी और गैर-कानूनी अकांउट्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने पनामा की एक विधि फर्म के लीक हुए दस्तावेजों की सूचनाओं पर लगातार निगरानी के लिए जांच टीम गठित की है। लाखों की संख्या वाले इन दस्तावेजों में कम से कम 500 भारतीयों के नाम भी बताए गए हैं जिनमें फिल्म कलाकार व उद्योगपति शामिल हैं। इनके बारे में आरोप है कि इन्होंने विदेशी इकाइयों में धन जमा कर रखा है।
काले धन पर विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने भी कहा है कि वह खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ (आईसीआईजे) द्वारा सामने लाई गई गोपनीय सूचनाओं की गहनता से जांच करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर आज सुबह उनसे बात की और उनकी सलाह पर एजेंसियों का समूह गठित किया गया है। इस समूह में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), भारतीय रिजर्व बैंक व वित्त मंत्रालय की वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) और एफटीएंडटीआर (विदेशी कर और कर अनुसंधान) के अधिकारी शामिल हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘विभिन्न एजेंसियों वाले इस समूह में सीबीडीटी, एफआईयू, एफटीएंडटीआर (विदेशी कर एवं कर अनुसंधान) तथा रिजर्व बैंक जैसी एजेंसियां शामिल होंगी। वे इनकी (खातों) की लगातार निगरानी करेंगी और जो भी खाते अवैध पाए जाएंगे उन पर मौजूदा कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
जेटली का यह बयान इस बारे में अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रपट के बाद आया है। यह रपट पनामा की विधि सेवा फर्म मोसैक फोंसेका के लीक हुए दस्तावेजों पर आधारित है। इस सूची में एक प्रसिद्ध अभिनेता और उनकी बहू, रीयल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज और कई अन्य उद्योगपतियों व उनके परिवार के सदस्यों का नाम शामिल है। हालांकि, इनमें से ज्यादातर ने किसी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपोलो समूह के चेयरमैन ओंकार कंवर और उनके परिवार के सदस्यों ने 2010 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में एक आफशोर इकाई बनाई। इसके लिए उन्होंने 2014 में दो ट्रस्ट स्थापित किए।
इस पर प्रतिक्रिया में समूह के अधिकृत प्रवक्ता ने कहा कि भारत कानूनी तरीके से कुछ निश्चित नियमन के तहत विदेश में निवेश की अनुमति देता है। कंवर परिवार का विदेश में संभवत: जो भी निवेश है वह भारतीय कानून के अनुपालन के जरिये है। जहां जरूरत है वहां इसका खुलासा भी किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि इसमें परिवार के जिन भी सदस्यों का उल्लेख किया गया है वे एनआरआई हैं। वे विदेशी निवेश के लिए दूसरे देशों के अनुमति वाले कानूनों के तहत आते हैं और भारतीय कानून के दायरे में नहीं आते। अखबार की रपट में यह भी दावा किया गया है कि भारतीय नामों से सम्बद्ध मामलों में 234 व्यक्तियों के न्यासों, संस्थानों व पासपोर्ट का ब्यौरे सामने आए हैं। इस बीच, पनामा से एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में गुप्त सौदेबाजी रिपीट विदेशों में गुप्त सौदेबाजी के एक बड़े मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी, अनेक विश्व नेताओं व दिग्गज फुटबाल लियोनेल मेस्सी सहित अनेक हस्तियों के नाम सामने आये हैं। यह खुलासा एक विधि फर्म से 1.15 करोड़ कर दस्तावेजों की ‘लीक’ और जांच के बाद किया गया है।
इन दस्तावेजों की जांच 100 से भी ज्यादा मीडिया समूहों के एक समूह ने की है और इसे इतिहास की अपनी तरह की सबसे बड़ी जांचों में से एक बताया जा रहा है। इस जांच में लगभग 140 राजनीतिक हस्तियों की संपत्ति से जुड़ी गुप्त विदेशी सौदेबाजी को उजागर किया गया।
जर्मन अखबार सिदोचे जाइतुन ने बड़ी मात्रा में ये दस्तावेज एक अज्ञात सूत्र से प्राप्त किए हैं और इसे खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन आईसीआईजे के जरिए दुनिया भर के मीडिया के साथ साझा कर दिया। लीक हुए ये दस्तावेज पनामा की एक विधि फर्म मोजैक फोंसेका से आए। इस फर्म के 35 से भी अधिक देशों में दफ्तर हैं। इसमें 40 साल तक का लेनदेन शामिल है।
जेटली ने इस तरह के खुलासे का स्वागत करते हुए कहा कि आज के खुलासे के बाद आने वाले दिनों में कुछ और नाम भी आ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इस जांच का स्वागत करता हूं। मेरी राय में यह एक अच्छी बात है कि इस तरह के पर्दाफाश किए जा रहे हैं। मैंने बार बार कहा है कि दुनिया अब पहले से अधिक पारदर्शी हुई है, सरकार अब एक दूसरे के साथ सहयोग कर रही हैं और विभिन्न वैश्विक पहलों के बाद अब धीरे-धीरे ऐसी सारी सूचनाएं सामने आती रहेंगी।’
जेटली ने कहा कि इस तरह की सूचनाओं का यह चौथा मामला है। उन्होंने कहा कि सबसे पहला मामला लिकटेंस्टाइन के खातों का था। उस मामले में सम्बद्ध सभी लोगों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई पहले ही शुरू की जा चुकी है। इनमें आय के आकलन के आदेश पारित किए जा चुके हैं। इसके बाद 2011 में एचएसबीसी बैंक के खाताधारकों का मामला सामने आया। इनमें 569 खाताधारकों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 390 अवैध थे इनमें 154 में अभियोग दायर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि आय के विस्तृत आकलन के बाद लगभग 6500 करोड़ रपये की अवैध धन संपत्ति का पता लगा है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
आईसीआईजे ने 2013 में 700 लोगों की सूची प्रकाशित की। इसका विश्लेषण किया गया। जेटली ने कहा,‘ इसमें से 434 भारतीय इकाइयों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 184 ने इन खातों के साथ अपने संबंध स्वीकार किए हैं और ऐसे मामलों में आकलन व अभियोजन की कार्रवाई चल रही है। आयकर अधिकारी अब तक 52 अभियोग पत्र दायर कर चुके हैं।’ जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार विदेशों में जमा अवैध धन को भारत लाने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा ‘खोजी पत्रकारों द्वारा निकाली गई सूचनाओं का स्वागत है।’
उन्होंने कहा कि यद्यपि आईसीआईजे की पिछली सूची में वित्तीय लेनदेन व बैंक खातों की जानकारी नहीं थी पर सरकारी जांच में संबंधित भारतीयों के खातों में 2000 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित संपति का पता लगा था। इस बीच, इन खबरों पर इंडियाबुल्स के समीर गेहलोत ने कहा कि उनका समूचा विदेशी निवेश भारत में सभी करों को चुकाने के बाद किया गया है। इस सूची में गेहलोत का भी नाम आया है। उन्होंने कहा कि विदेश में भेजा गया सारे धन का खुलासा रिजर्व बैंक को किया गया है।