दीपक मिश्र बने समाजवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष
लखनऊ: समाजवादी चिन्तक, बौद्धिक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सपा सहप्रवक्ता दीपक मिश्र को समाजवादी लेखक संघ ने अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। समाजवादी लेखक संघ का अध्यक्ष बनने पर दीपक मिश्र को बधाई देते हुए सपा प्रमुख प्रवक्ता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि दीपक की अगुवाई में समाजवादी साहित्य के प्रकाशन व प्रसार को गुणात्मक ताकत मिलेगी। समाजवादी साहित्य के क्षेत्र में दीपक ने उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसकी प्रशंसा लोकसभा अध्यक्ष रहे रवि राय नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ मारीशस के सोशलिस्ट नेता व प्रधानमंत्री सर अनिरूद्ध जगन्नाथ, लंका की सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव प्रो0 तिस्सा वितर्ना, स्विस समाजवादी चिन्तक वान ऐश्च सदृश कई ख्यातिलब्ध समाजवादी विचारक, नेता व लेखक सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। श्री यादव ने कहा कि समाजवादी लेखन, साहित्य व विचारधारा को दीपक के कारण दीपक की नियुक्ति से बहुआयामी ताकत मिलेगी। युवजन सभा के राष्ट्रीय सचिव और समाजवादी बौद्धिक सभा के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्य सराहनीय रहा है। श्री यादव ने कहा कि दीपक लोहिया की ज्ञानाश्रयी परम्परा के सामाजवादी है, इन्हें किशन पटनायक, मधु लिमए, बाबू कपिलदेव, जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, व ब्रजभूषण तिवारी की अगड़ी कड़ी कहा जाय तो गलत न होगा जो अपनी सादगी, ज्ञान, सतत संघर्ष व सैद्धान्तिक प्रतिबद्धता के लिए सर्वविदित हैं। समाजवाद पर कई पुस्तकों के ेलेखक व अभियानों के सूंत्रधार दीपक मिश्र ने महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती के उपलक्ष्य में बौद्धिक सभा के कार्यालय में आयोजित “समकालीन साहित्य व समाजवाद” विषय पर बोलते हुए कहा कि समकालीन साहित्य ने सदैव समाजवादी आंदोलन के स्वर को ताकत दी है। ज्यादातर महान समाजवादी नेता लेखक, विचारक व पत्रकार हुए है। लोहिया ने “मैनकाइण्ड व जन” का प्रकाशन किया तो जयप्रकाश ने “जनता” निकाला। गांधी व सुभाष ने भी अपने समाजवादी विचारों के प्रसार के लिए साहित्य व पत्रकारिता का सदुपयोग किया। माखन लाल चतुर्वेदी जितने बड़े लेखक व कवि थे उतने ही महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाजवादी समाज सुधारक थे। उन्होंने कलम के माध्यम से एक तरफ जहाँ स्वतंत्रता की अलख जलाई वहीं अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर समाज की विकृतियों से भी लड़े। अपनी प्रतिनिधि रचना “पुण्य की अभिलाषा” उन्होंने 18 फरवरी 1922 को बिलासपुर जेल में लिखी थी। वे 1961 में राममनोहर लोहिया से मिले और कोटि-कोटि झोपडियों की आवाज बनने के लिए समर्थन देने की घोषणा की। लोहिया व समाजवादियों को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा तोड़ शोषकों के मंसूबे गिन न दिनों की घडि़याँ, बुला रही हैं तुम्हे देश की कोटि-कोटि झोपडि़याँ। आज के साहित्यकारों को माखन लाल चतुर्वेदी व राममनोहर लोहिया से प्रेरणा लेनी चाहिए। श्री मिश्र ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि नियति ने माखन लाल चतुर्वेदी जैसी विभूति की जयंती के दिन समाजवादी लेखक संघ के अध्यक्ष का दायित्व दिया है, माखन लाल चतुर्वेदी की जयंती के दिन मेरा भी जन्मदिन होना भी सौभाग्य है।
समाजवादी लेखक संघ पूरी मेंधा व मेहनत से उपनिवेशवादी सोच, अंधराष्ट्रवादी ताकतों व पूंजीवादी शोषण के अवशेषों से लडे़गा। परिचर्चा से पूर्व दीपक मिश्र की अगुवाई लुआक्टा के अध्यक्ष डा0 मनोज पाण्ड़ेय, समाजशास्त्री प्रो0 पंकज कुमार, सपा प्रदेश सचिव अजय त्रिपाठी, समाजवादी नेता सुभाष राय, देवी प्रसाद यादव, विशाल पाण्ड़ेय समेत अनेक समाजवादियों ने माखन लाल चतुर्वेदी को जीपीओ पार्क स्थित शहीद स्तम्भ पर श्रद्धांजलि दी और स्थल की श्रमदान द्वारा सफाई की। उल्लेखनीय है कि दीपक मिश्र को अध्यक्ष बनाने का निर्णय समाजवादी लेखक संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की हैदराबाद बैठक के दौरान ली गयी।