नेताओं से नाराज़ है तंजील का परिवार
नई दिल्ली। बिजनौर में एनआईए अफसर तंजील अहमद की हत्या को लेकर परिजन अब तक के घटनाक्रम से नाखुश है। तंजील के भाई ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। साथ ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी नाराजगी जताई है।
यूपी एसटीएफ के अफसर तंज़ील के भाई उनके बेटे से पूरी घटना की जानकारी ले रहे हैं। बेटे से उस रात क्या क्या हुआ पूछा जा रहा है। भाई से ये जानने की कोशिश की जा रही है कि कितने बजे वो सोहयरा पहुंचे, उसके बाद कहां-कहां गए, कितने बजे निकले। एसटीएफ के अफसर तंजील अहमद के दिल्ली स्थित शाहीन बाग के घर में हैं।
तंज़ील के भाई रागिब ने अपने बयान में कहा कि मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि केंद्र सरकार से कोई मंत्री नहीं आया क्योंकि हम मुसलमान हैं। क्या तंज़ील ने देश के लिए काम नहीं किया था, क्या वो शहीद नहीं हैं। केजरीवाल आए लेकिन वो हमसे नहीं मिले।
इसके अलावा रागिब ने ये भी कहा कि शादी में दो संदिग्ध लड़कों को देखा था, जो ब्लैक कलर की पल्सर से आए थे और जब उनसे पूछा कि किसकी शादी है तो उन्होंने बोला इकबाल सिंह के घर शादी है। तब हमने बताया कि ये मोहम्मद इकबाल का घर है।
संदिग्धों को तंज़ील के बच्चों ने शादी से निकलते हुए भी उनको घूरते हुए देखा और फिर पीछा करते हुए भी देखा। बच्चों के मुताबिक़ पल्सर पर सवार दो लड़के कार के सामने से आए फिर कार के पीछे से यू टर्न लिया और कार को साइड करते हुए मिट्टी के ढेर पर गाड़ी चढ़ गई और फिर बाइकर ने सीधा तंज़ील के सीने पर गोली मारी। हमलावरों ने कोई बात नहीं की, तंज़ील ने बच्चों से कहा हेड डाउन।
रागिब के मुताबिक, हमलावरों ने दो हथियारों से फायरिंग की। जब तंज़ील और फरजाना को लेकर थाने पहुंचे तो पुलिसवालों ने कोई मदद नहीं की, परिवार के लोगो द्वारा हंगामा करने पर एंबुलेंस में मुरादाबाद ले गए, बिजनौर में अस्पतालों ने भर्ती नहीं किया।
शादी के दिन उस रुट पर तंज़ील ने परिवार के लोगों को छोड़ने के लिए तीन-चार चक्कर लगाए थे। आपसी रंजिश, या प्रॉपर्टी विवाद नहीं है। जिस दिन शादी के लिए दिल्ली से निकलना था उस दिन तंज़ील पाकिस्तान के डेलिगेशन के साथ काफी व्यस्त थे।
वहीं तंजील अहमद की बेटी ने रोते हुए मीडिय़ा से कहा कि जब शीशा टूटा तो कार से कंट्रोल खो गया। कभी पापा ने कोई खतरा नही बताया था। वो 3-4 मिनट तक चिल्लाते रहे, वो पापा को मारते ही गए। उनकी गोलियां खत्म हो गईं तब भी वो गोलियां भर-भर के पापा को मारते ही गए। जब तक पापा पूरी तरह खत्म नही हो गए वो मारते रहे। हम भी चिल्लाते रहे, कोई वहां नहीं आया।