गुजरात: सोशल और हेल्थ सेक्टर में बड़ी खामियां
अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने विधानसभा में वर्ष 2014 – 15 की कैग की रिपोर्ट पेश की। कैग ने सोशल और हेल्थ सेक्टर में सरकार की खामियां उजागर की हैं। रिपोर्ट में उद्योग क्षेत्र में परिस्थिति में थोड़ा सुधार दर्शाया गया है।
गुजरात विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अंडरटेकिंग कंपनियों में लोन की रकम बढ़ने की वजह से राज्य पर ब्याज का भार बढ़ा है। सन 2012 में यह प्रति वर्ष 981. 71 करोड़ रुपये था जो कि 2015 में बढ़कर 1804.06 करोड़ हो गया है। केजी बेसिन में एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में गुजरात सरकार की अनियमितताएं उजागर हुई हैं। कैग के अनुसार गुजरात सरकार के उपक्रम GSPC ने मार्च 2015 तक केजी बेसिन में 19576 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया लेकिन अभी भी केजी बेसिन का भविष्य अनिश्चित है। केजी बेसिन में 2011 में कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू होना था जो 2015 तक शुरू नहीं हो सका है।
रेवेन्यू डिपार्टमेंट के बारे में उल्लेख करते हुए कैग ने साफ किया है कि मार्च 2015 तक राज्य में 22397.30 करोड़ रुपये के टैक्स की वसूली बाकी थी जिसमें से 9957.32 करोड़ रुपये के टैक्स तो 5 साल से भी ज्यादा समय से बाकी हैं। यह उजागर करता है कि किस तरह की अनियमितताएं रेवेन्यू डिपार्टमेन्ट में चल रही हैं।
कैग की रिपोर्ट में सामाजिक क्षेत्र की बदहाली भी उजागर हुई है। इसमें सबसे बुरी हालत स्वास्थ्य सेवाओं की है। कैग के मुताबिक राज्य के अलग-अलग जिलों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी 29 से 69 फीसदी तक है। इसके अलावा राज्य के अस्पतालों में मरीजों के लिए बेडों की कमी 52 से 73 फीसदी तक है। सबसे चौंकने वाला तथ्य तो यह है कि राज्य के 33 जिलों में से 11 जिलों में राज्य की 3.55 करोड़ की आबादी के लिए 10645 बेड हैं। बाकी बचे 22 जिलों की 2.49 करोड़ आबादी के लिए 3188 बेड हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों के तमाम सरकारी अस्पतालों में एक्सीडेंट या इमरजेंसी से निपटने की सेवाएं या तो हैं ही नहीं या फिर उनमें जरूरी संसाधन नहीं हैं।
स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में कैग ने बताया है कि गुजरात स्किल डेवलपमेंट मिशन (GSDM), जिसकी संरचना 2010 में हुई थी, में अभी तक स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में कोई पालिसी ही नहीं बनी है। संत श्री रविदास हाई स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत पिछले 5 सालों में 47140 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 17052 उम्मीदवारों ने ही ट्रेनिंग ली है। और तो और स्किल डेवलपमेंट मिशन द्वारा 2011 में शुरू किया गया वेब पोर्टल सितम्बर 2013 से नॉन ऑपरेशनल पड़ा हुआ है।
अब जरा कैग रिपोर्ट में आतंकवाद से जूझते गुजरात में पुलिस के आधुनिकीकरण का हाल भी देख लीजिए। यहां हथियारों के मामले में देखा जाए तो राज्य में 76 फीसदी AK 47 की कमी है। 54 फीसदी शॉटगन्स की कमी है और 7 फीसदी गैस गन की कमी है।