जेटली भी चाहते हैं ब्याज दरों में कमी हो
भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर में कटौती की अपनी इच्छा का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वह वही चाहते हैं ‘जो सब लोग चाहते हैं।’ रिजर्व बैंक पांच अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है। सरकार ब्याज दर में कमी की परिस्थितियां तैयार करने की दिशा में अपनी अपेक्षित भूमिका निभा चुकी है। वह चालू वित्त वर्ष में राजाकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य पर कायम रही तथा अगले वर्ष में इसे 3.5 प्रतिशत तक सीमित करने की योजना पर भी प्रतिबद्ध है। इसके अलावा सरकार ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती का एक साहसिक निर्णय भी किया है। इससे कर्ज सस्ता होने की गुंजाइश बढी है।
जेटली ने यह पूछने पर कि क्या उन्हें पांच अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा में आरबीआई गवर्नर द्वारा नीतिगत दर घटाए जाने की उम्मीद है, कहा, ‘मैं वही चाहता हूं जो सब चाहते हैं।’ जेटली ने कहा कि लघु बचत पर ब्याज दरें घटाई गई हैं क्योंकि वे ‘असाधरण रूप से ऊंची’ थीं जिसके कारण ऋणों पर ब्याज ऊंचा था। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति करीब पांच प्रतिशत के आस-पास है, ऐसे में अगर कर्ज महंगा रहा तो भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ जाएगी। भारतीय उद्योग जगत नीतिगत ब्याज दर में कमी की मांग करता आ रहा है। आरबीआई पांच अप्रैल को 2016-17 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर सकता है ताकि औद्योगिक उत्पादन और वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सके।