उत्तराखंड में स्टिंग की राजनीति शुरू
बागियों ने जारी किया हरीश रावत के स्टिंग वीडियो
देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों के बागी होने से शुरू हुई राजनीति अब एक स्टिंग ऑपरेशन पर आकर अटक गई है। कांग्रेस के बागी विधायकों ने आज मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक स्टिंग ऑपरेशन जारी किया जिसमें हरीश रावत को अपनी सरकार बचाने के लिए पैसों के लेन देन की बातचीत करते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो में हरीश रावत 5 करोड़ रुपए खुद से और 10 करोड़ रुपए किसी जरिए से दिलाने की बात कह रहे हैं। बागी विधायको का दावा है कि ये स्टिंग ऑपरेशन 23 मार्च का है। इस स्टिंग को दिखाने के बाद मीडिया से बात करते हुए बागी विधायकों ने कहा कि उनकी जान को खतरा है इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए।
वीडियो जारी किए जाने के बाद सीएम हरीश रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अगर ये सही है तो साबित होता है कि बागी विधायक पैसे के लिए बीजेपी के साथ गए और फिर पैसे के लिए सरकार से बात कर रहे थे। हमारा मानना है कि सीडी झूठ है, जिसने स्टिंग किया है उनकी रेप्युटेशन हर कोई जानता है। रावत ने कहा, ‘मैं सीधा कहना चाहूंगा कि ये सीडी बिल्कुल झूठ है, बिल्कुल गलत है।’ हरीश ने उस न्यूज चैनल पर भी सवाल उठाए है, जिसने कथित रूप से यह स्टिंग करवाया है।
बागी बिधायक साकेत बहुगुणा ने कहा कि यह बड़ी बात है कि ऐसे चैनल के मालिक को गाली दे रहे हैं और उसी को आप सिक्यॉरिटी दे रहे हैं। वहीं राज्य बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि पूरे देश के सामने, दुनिया के सामने सरकार ने उत्तराखंड की नाक कटवा दी है। हम पर आरोप लगा रहे थे और खुद ये काम कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि ऐसी भ्रष्टाचारी सरकार जाए।
उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने केंद्र पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया है। उपाध्याय ने कहा कि पीएम मोदी उत्तराखंड के आत्मसम्मान पर चोट कर रहे हैं और एक बहुमत की सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड कांग्रेस के 9 विधायकों ने सरकार के खिलाफ बगावत की है जिसके बाद से हरीश रावत सरकार मुश्किल में फंस गई है। स्पीकर ने बागी विधायकों को दल बदल कानून के तहत नोटिस देकर पूछा है कि उनकी सदस्यता रद्द क्यों ना की जाए? स्पीकर के नोटिस के खिलाफ बागी विधायकों को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली जिसके बाद अब बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट का रुख करने जा रहे है। हरीश रावत को अब 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करना है।