रिटायरमेंट प्लानिंगः शुभस्थ शीघ्रम
सेवानिवृत्त होना जीवन की एक सच्चाई है, और इस समय कोई भी इसके बारे में सही समय पर प्लानिंग नहीं कर पाता। हैल्थकेयर सुविधाओं में सुधार, व्यक्ति की औसत जीवन अवधि में वृद्धि एवं स्थायित्व आ गया है। इसके साथ ही कुछ कारण ऐसे है यथा संयुक्त परिवार प्रथा हमें छोटे परिवार में परिवर्तित होना, बच्चों का प्रवास, स्वास्थ्य पर बढ़ते खर्च, बदलती जीवनशैली ऐसे में रिटायरमेंट प्लान व्यक्तिगत जरूरतें पहले से अधिक हो गई हैं।
ऐसे लोग जो यह महसूस करते हों कि उन्हें तो कोष बनाना है तथा उनका लक्ष्य रिटायरमेंट के बाद आय बनाए रखना है, यूटीआई रिटायरमेंट बेनिफिफ पेंशन फण्ड (भारत सरकार का अधिसूचित पेन्शन फण्ड) उनके लिए वित्त प्रबन्धन का बेहतर विकल्प हो सकता है।
यह एक ओपन एण्डेड बैलेंस फण्ड है और वह भी अधिकतम 40 प्रतिशत इक्विटी आवन्टन के साथ और बैलेंस इन डेबिट के साथ जो यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक विशेषकर स्वनियोजित व्यक्ति जो 58 वर्ष की आयु के बार नियमित आय पाना चाहते हैं और आपात स्थिति में नकदी की तरलता भी चाहते है। यह फण्ड आदर्श रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो सेवानिवृति के बाद दीर्घावधि पोर्टफोलियो की तलाश में हैं।
यह पूछे जाने पर कि रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग कब से शुरू की जानी चाहिए, इस पर अमनदीप चोपड़ा हेड आॅफ फिक्स इन्कम यूटीआई का कहना था, ‘‘जितना शीघ्र हो इसे शुरू किया जाना ही बेहतर होगा। इसके कम्पाउण्डिंग प्रभाव के चलते शीघ्र निवेश करने वाला और अधिक सेवानिवृति कोष जमा कर सकता है जो बाद में सोचने वालों से कहीं अधिक होता है।‘‘
यूटीआई रिटायरमेंट बेनिफिट प्लान अपनी शुरूआत से जो कि 26 दिसम्बर, 1994 से, ने सालाना 11.05 प्रतिशत का रिटर्न प्रदान किया है(दिसम्बर 2015)। इस फण्ड की निवेश के प्रति झुकाव सम्पदा ऋण का कम से कम 60 प्रतिशत किसी रूढिवादी निवेशक के लिए आराम का एक स्तर प्रदान कर सकता है। फायनेंशियल सर्विसेज, आॅटोमोबाइल और फार्मा ऐसे कुछ शीर्ष होल्डिग्स है जो कि इसके इक्विटी पोर्टफोलियो में है वहीं जी सेक और दीर्घावधि डेबिट पेपर्स इसके डेबिट पोर्टफोलियों के प्रमुख भाग हैं