गवाहों का पलटना, पेश न होना चिंता का विषय: डा0 सूर्यकुमार शुक्ला
लखनऊ: अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम-2015 के प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो मुख्यालय सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मे प्रदेश के प्रत्येक जनपद से एक-एक पुलिस उपाधीक्षक एवं जनपद के विशेष जाॅच प्रकोष्ठ प्रभारी निरीक्षक, उप निरीक्षक ने प्रतिभाग किया ।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डा0 सूर्यकुमार शुक्ला, महानिदेशक अभियोजन ने अपने सम्बोधन में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 में प्रावधानों के अन्तर्गत पंजीकृत अभियोगों की विवेचनाओं की गुणवत्ता पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इस एक्ट की गम्भीरता पर अपने विचार व्यक्त किये गये। न्यायालयों में चल रहे मुकदमों में मात्र 30 प्रतिशत में ही सजा हो रही है इसका कारण गवाहों द्वारा प्रस्तुत न होना व गवाही से पलट जाना बताया गया।
श्री सुनील कुमार, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण व्दारा अपने सम्बोधन में बताया गया कि इस एक्ट के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाले राहत राशि का प्रस्ताव जनपदों द्वारा समय से नहीं भेजा जाता है जिसके कारण अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पीडि़त व्यक्ति को राहत राशि समय से नहीं मिल पाती। राहत राशि प्रदान करनें हेतु धन की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होने यह भी बताया कि राहत राशि के संशोधन का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और आशा है कि जल्द ही नया शासनादेश प्राप्त हो जायेगा। उन्होने यह भी बताया कि अगले 06 माह के अन्दर जनपद से लेकर शासन स्तर पर भेजे जाने वाले प्रस्ताव एवं प्रदान की जाने वाली राहत राशि का आन लाइन प्रसारण हो जायेगा। श्री चन्द्र प्रकाश,अपर पुलिस महानिदेशक, विशेष जाॅच व्दारा इस संशोधित अधिनियम की एक-एक धाराओं पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए सभी से अपेक्षा की गयी कि वह अपने-अपने जनपदों में जाकर इस एक्ट के बारे में सभी को अवगत करावें एवं प्रदान की गयी सामग्रियों से व्यापक प्रचार-प्रसार करें।
अन्त में जावीद अहमद, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश व्दारा इस कार्यशाला का समापन किया गया। उन्हांेने अपने सम्बोधन में यह अपेक्षा की कि जनपद स्तर पर भी ऐसी कार्यशाला का आयोजन कर इस एक्ट की संशोधित धाराओं से सभी को अवगत कराया जाय ताकि इसका फायदा समाज के गरीब व कुचले तबकों को व्यापक रूप से मिल सके। उन्हांेने जिन जनपदों में विशेष जाॅच प्रकोष्ठ की स्वीकृति प्राप्त नही है, उनकी स्वीकृति प्राप्त करनें हेतु प्रस्ताव प्रेषित करने के निर्देश दिये । उन्होने इस एक्ट को सीसीटीएनएस पर अपलोड करने की भी अपेक्षा कीे। इस एक्ट के पीछे जो सोच है जिस सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया की अपेक्षा की जा रही है सभी को इसमें मुख्य हिस्सेदारी निभाने पर बल दिया गया।