राजद्रोह कानून की होगी समीक्षा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को यह माना कि राजद्रोह से जुड़े कानून की परिभाषा ‘बहुत व्यापक’ है। सरकार ने कहा कि इस कानून पर लॉ कमीशन विचार कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कानून पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट मिलने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी। सरकार ने हालांकि विपक्ष का यह आरोप खारिज कर दिया कि वह इस कानून का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रही है।
दूसरी तरफ शिवसेना के अनिल देसाई के इसी से संबंधित पूरक सवालों का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि विधि आयोग ने अपनी 42वीं रिपोर्ट में ध्यान दिलाया है कि राजद्रोह कानून ‘त्रुटिपूण है किन्तु उसे खत्म करने की बात नहीं कही है।’ उन्होंने कहा कि आयोग ने एक अन्य रिपोर्ट में भी राजद्रोह की परिभाषा बदलने की बात कही है किन्तु कानून को बदलने की बात नहीं कही है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार के विरूद्ध बोलने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। संशोधनों के सुझाव दिये गये हैं क्योंकि परिभाषा काफी व्यापक है, बहुत तरह के मामले हैं। इसी कारण से चिंताएं जताई गयी हैं। मैं चाहूंगा कि विधि आयोग बहुत व्यापक समीक्षा करे।’ रिजीजू ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े देते हुए कहा कि देश में वर्ष 2014 में राजद्रोह के कुल 47 मामले दर्ज किए गये। इनमें सबसे अधिक 16 मामले बिहार में दर्ज किए गए जिनमें 28 लोगों की गिरफ्तारियां की गई। उन्होंने कहा कि दूसरे सबसे अधिक मामले झारखंड में दर्ज किये गये। इसके बाद केरल एवं ओड़िशा का स्थान है।
रिजिजू ने राजद्रोह कानून को लेकर सरकार की विपक्ष द्वारा की गयी आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि जेएनयू के मामले को छोड़कर अधिकतर मामले दिल्ली के बाहर दर्ज किये गये हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष छात्रों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहा है जबकि तथ्य यह है कि कुछ मामले में राजनीतिक नेताओं के विरूद्ध भी दर्ज किये गये हैं। ‘ये तेलंगाना में दर्ज किए गये हैं दिल्ली में नहीं।’ उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ दर्ज किए गये राजद्रोह के मामलों का संकेत किया।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजद्रोह की व्यापक परिभाषा होने के कारण सरकार के खिलाफ बोलने के कारण देश के आधे से अधिक राजनीतिक दल राष्ट्र विरोधी हो जाएंगे। उन्होंने सवाल किया गया कि देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने के प्रयास करने वालों भी क्या राजद्रोह कानून के दायरे में लाया जाएगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम विपक्ष के नेता के इस विचार से शत प्रतिशत सहमत हैं कि सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। मैं सभी राज्य सरकारों से सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की अपील करता हूं।