सफलता की सीढ़ी के स्मार्ट लक्ष्य होना जरूरी है: डा0 मंजरी अग्रवाल
रूद्रपुर। ज्ञान के साथ निवेश कीजिये। हम पैसों के लिए तो कार्य करते है पर क्या पैसा हमारे लिए कार्य करता है ? हम पैसा बचाते है पर इन्वेस्ट क्यों नहीं करते ? सामान्य जनता के मन में शेयर बाजार के बारे में अभी भी भ्रम बना हुआ है। समुचित सूचनाएॅं स्टाक और शेयर्स के बारे में उपलब्ध नही होने की वजह से विनियोग कम होता है। सेबी हर इन्वेस्टर की ताकत है। सोच कर समझ कर इन्वेस्ट करे।
उक्त बाते दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा आयोजित एक सप्ताह की कौशल विकास की कार्यशाला के चौथे दिन मध्यम आय वर्ग एवं युवाओं के लिए वित्तिय योजनाएं, विषय पर बोलते हुए कौशल केन्द्र के डा0 हरनाम सिंह ने कहा। उन्होने कहा कि जानकार विनियोगकर्ता ही सुरक्षित है। टिप्स और रूयूमर के आधार पर इन्वेस्ट नही करना चाहिए। ज्यादा का लोभ मतलब धोखा होता है। हमको कम्पनी के बारे में पढ़ना चाहिए समझना चाहिए तब ही किसी पारटीकुलर स्टाक्स में इन्वेस्ट करना चाहिए। पैसा इन्वेस्ट करने से पहले टाईम इन्वेस्ट करे। सही जानकारी के अभाव में जनता अपनी गाढ़ी कमाई पोंजी स्कीमो में लगाकर आर्थिक नुकसान उठा रही है। भारतीय वित्तिय बाजार में विनियोग के तरिके अनन्त है। सावधानी पूर्वक विनियोग स्ट्रेटजी अपनाकर ही वित्तिय लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय की डा0 मंजरी अग्रवाल ने ‘फाइनेंस फार नान-फाईनेन्स प्रोफेशनल्स’ विषय पर बोलते हुए कहा कि सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए आपके पास एक स्मार्ट लक्ष्य होना जरूरी है। अपने धन को सुरक्षित रख्ेा और इसे काम में लगाये। सुरक्षा-तरलता और वृद्धि निवेश के तीन स्तंभ है। व्यक्तिगत और कम्पनियों की वित्तिय जरूरतो को पूरा करने में बैक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आय के óोतों की पहचान करें। नकदी प्रवाह का विवरण बनाएं और बजट योजना बनाएं। निवेश के लिए सही विकल्प का चुनाव ही आर्थिक प्रगति करायेगा। शेयर बाजार किसी देश की अर्थव्यवस्था और विकास को प्रदर्शित करने का प्राथमिक संकेतक होता है।
दूसरे स़त्र में एपेक्स कालेज आफ मैनेजमेन्ट और कम्प्यूटर एपलिकेशन के प्रिन्सिपल डा0 विकास अग्रवाल ने सिक्योरिटिज बाजार, डी मैट अकाउंट, इन्टरमिडियटिरीज और म्युचुअल फण्ड के लिए क्या करें क्या ना करे सम्बन्धित वित्तिय बाजार का विस्तृत वर्णन करते हुए प्रतिभागियों को प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिखने की विधि बतायी, कार्यशील पूॅंजीाकी बात कही। उन्होने कहा कि पूॅंजी योजनाओं में प्रमोटर बिना रजिस्टर्ड की हुई स्क्यिोेरिटीज बेचता है। इन योजनाओ में छोटी अवधी के निवेश पर असामन्य रूप से भारी रिर्टन देने का वायदा किया जाता है।
अन्तिम सत्र को सम्बोधित करते हुए नैनीताल बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष एवं र्चाटेड एकाउण्टेन्ड के0 के0 अरोड़ा ने आयकर की जटिलताओं और समाधान पर बोलते हुए कहा कि संसद में प्रस्तावित जी0 एस0 टी0 बिल को पारित कराकर अप्रत्यक्ष करो के जंजाल से मुक्ति मिल सकती है। कर अनिवार्य अंशदान है जिससे सरकारें आर्थिक संरचना स्थापित करती है। आवश्यकता है कर ढ़ाचे के सरलीकरण की जिसे सामान्य नागरिक समझ सके और कर जमा करने के लिए उसे नागरिक समझ सके और कर जमा करने के लिए उसे विशेषज्ञो की सेवाएं न लेनी पड़े। अनावश्यक करों से मुक्ति ही भारत को औद्योगिक जगत में शिरमौर बनायेगा।
कार्यशाला का संचालन करते हुए आयोजन सचिव डा0 विनोद कुमार ने बताया कि यह कार्यशाला बदलते परिवेश के लिए योग्य-कुशल श्रमशक्ति के लिए आयोजित है जिससे युवा अपना अभिष्ट लक्ष्य प्राप्त कर सके। कार्यशाला के प्रमुख रूप से निदेशक योगेश कुमार शर्मा, अंग्रेजी विभाग कि विभागाध्यक्ष डा0 शर्मिला सक्सेना, आकांक्षा गुप्ता, अमित कुमार सिंह और सुधीर अग्रवाल ने सम्बोधित कर कुशलता के गुण सिखाये। जिसमें डा0 सन्तोष, डा0 सुनील कुमार मोर्या, रूद्रदेव, वेद विश्वकर्मा, विवेक अग्रवाल, मन्जू पान्डेय, विजय उपाघ्याय, और हेमा अधिकारी सहित सभी प्रतिभागी उपस्थित रहे।