वैज्ञानिक होने के साथ-साथ आइंस्टीन के गहरे सामाजिक सरोकार भी थे: इं0 जयप्रकाश मौर्य
लखनऊ। ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी उ0प्र0 इकाई व आंचलिक विज्ञान केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में मानव सभ्यता के इतिहास में महानतम् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के 137वें जन्मदिवस व उनके युगान्तकारी ‘सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत’ के शताब्दी वर्ष के मौके पर ‘अल्बर्ट आइंस्टीनः उनके वैज्ञानिक व सामाजिक अवदान’ विषय पर आंचलिक विज्ञान केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ के प्रेक्षागृह में आज एक चर्चा-परिचर्चा व सेमिनार का आयोजन किया गया। इसके तहत वैज्ञानिक-जादू शो, विशेषज्ञों द्वारा चर्चा-परिचर्चा, वैज्ञानिक कविता-पाठ और गुरुत्वीय तरंगों पर सचित्र प्रस्तुति दी गई।
स्वागत भाषण देते हुए संगठन की राज्य इकाई के सचिव इं0 जयप्रकाश मौर्य ने कहा कि एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ आइंस्टीन के गहरे सामाजिक सरोकार भी थे और वे अपनी समकालीन अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए जीवन पर्यन्त संघर्षरत् रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण और नैतिक व सामाजिक पहलुओं को सामान्य जन के बीच गहराई से तथा व्यापक स्तर पर फैलाने के लिए प्रतिबद्ध व प्रयासरत् है। मिस सौम्या श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 नीरज चौबे को पौधा भेंट कर आंचलिक विज्ञान केन्द्र की परम्परा का निर्वाह किया। लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.एससी. द्वितीय वर्ष के छात्र सौरभ वर्मा ने गुरुत्वीय तरंग पर सचित्र प्रस्तुति दी। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो. नीरज चौबे ने आइंस्टीन के जीवन के हर पहलू पर व्यापक रूप से प्रकाश डालते हुए सापेक्षता के सिद्धांत पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि सापेक्षता का सिद्धांत एक क्रांतिकारी सिद्धांत है जिसने पूर्व में व्याप्त रही अवधारणाओं को बदल डाला। हर चीज दूसरे के सापेक्ष है। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने बताया कि इस सिद्धांत को समझने के साथ ही आइंस्टीन के जीवन संघर्ष को भी जानना बराबर जरूरी है। आइंस्टीन की अन्तर्दृष्टि इतनी परिवर्तनकारी थी कि उन्होंने न सिर्फ प्रकृति विज्ञान के स्थापित सिद्धांतों को चुनौती दी बल्कि दुनिया को देखने-समझने के जनसाधारण के नजरिये को भी बदल डाला। आंचलिक विज्ञान केन्द्र के प्रभारी श्री उमेश कुमार रुस्तगी ने विज्ञान व समाज के संबंध में विस्तारपूर्वक चर्चा की। वैज्ञानिक कवि पंकज प्रसून ने अपना हास्य व व्यंगय से ओतप्रोत कविताओं का पाठ करते हुए मौलिक बौद्धिकता पर काफी प्रभावी वक्तव्य दिये। ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी उ0 प्र0 इकाई के अध्यक्ष व विश्व प्रसिद्ध साइंटूनिस्ट डाॅ0 प्रदीप श्रीवास्तव ने कार्टूनों के जरिये जीवन के सूक्ष्म पहलुओं की वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए बताया कि कैसे हम वैज्ञानिक चिंतन को जीवन में अपना कर समाज की प्रगति में अपना सार्थक योगदान दे सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान आंचलिक विज्ञान केन्द्र के एक शिक्षाधिकारी श्री के.के.चटर्जी के नेतृत्व में विज्ञान पर आधारित जादूगरी के माध्यम से एक नाटकीय प्रस्तुति की गयी। अन्त में ‘अल्बर्ट आइंस्टीनः उनके वैज्ञानिक व सामाजिक अवदान’ विषय पर एक विशेशज्ञ-परिचर्चा का आयोजन किया गया। उक्त पैनेल में प्रो0 नीरज चौबे, डाॅ0 प्रदीप श्रीवास्तव, डाॅ0 अल्का मिश्रा, उमेश कुमार रुस्तगी और इं0 जयप्रकाश मौर्य विशेषज्ञ के रूप में शामिल थे। इस परिचर्चा में छात्रों व श्रोताओं ने विज्ञान व आइंस्टीन से जुड़े तमाम विन्दुओं पर प्रश्न किये जिनके उत्तर भी विशेषज्ञों ने पूरी सहजता व सरलता से दिये।कार्यक्रम का संचालन मिस रामांशी मिश्रा ने किया।