हृदय का भाव व्यक्त करने के लिए भाषा की जरूरत नहीं होती: राज्यपाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज ललित कला अकादमी नयी दिल्ली एवं डाॅ0 शुकंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘राष्ट्रीय कला सम्मिलन‘ का उद्घाटन विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 निशिथ राय, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस0बी0 निम्से, विकलांग जन विकास विभाग के सचिव श्री अनिल सागर, सचिव ललित कला अकादमी डाॅ0 सुधाकर शर्मा, विभिन्न प्रदेशों से प्रतिभाग करने वाले कलाकार सहित डाॅ0 शुकंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। यह सम्मिलन देश में पहली बार आयोजित किया गया है जो दस दिन तक चलेगा। सम्मिलन में 57वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के 122 पुरस्कार विजेताओं सहित ज्यूरी सदस्य भी सम्मिलित होंगे।
राज्यपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि कलाकार की भाषा हो सकती है मगर कला की कोई भाषा नहीं होती। हृदय का भाव व्यक्त करने के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती है। देश में अनेक भाषाओं के होते हुए हमें कला के क्षेत्र में अनेकता में एकता का भाव देखने को मिलता है। युवाओं के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कौशल विकास पर जोर दिया है। इस सम्मिलन को कौशल विकास के रूप में देखें और कला के आदान-प्रदान के साथ भविष्य में सुधार पर विचार करें। उन्होंने कहा कि कला के विचार-विनिमय से और निखार आयेगा।
श्री नाईक ने कहा कि जैसे काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी है, दिल्ली राजनैतिक राजधानी है, मुंबई आर्थिक राजधानी है ठीक उसी प्रकार लखनऊ देश की कला राजधानी है। कला के क्षेत्र में सांस्कृतिक विनिमय से एक नया माहौल बनेगा। देश में 64 से ज्यादा कलाएं विद्यमान हैं जैसे चित्रकला, शिल्पकला और संगीतकला आदि। ऐसे आयोजन से कलाकारों के ज्ञान का विस्तार होता है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों में भी ऐसे सम्मिलन होने चाहिए।
प्रो0 निशिथ राय कुलपति डाॅ0 शुकंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का विवरण देते हुए दिव्यांगजनों के बारे में विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे शैक्षिक विषयों पर भी जानकारी दी। इस अवसर पर डाॅ0 सुधाकर शर्मा सचिव ललित कला अकादमी ने भी अपने विचार रखें।