श्री श्री प्रोग्राम को लेकर राज्यसभा में हंगामा
नई दिल्ली। यमुना नदी के किनारे होने वाले श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम को लेकर बुधवार को राज्यसभा में हंगामा हुआ। 11 मार्च से शुरु होने वाले प्रोग्राम को लेकर माकपा के सीताराम येचुरी ने प्रश्न किया की श्री श्री रविशंकर के निजी प्रोग्राम को लेकर आर्मी के जवान कैसे मदद कर रहे हैं। इसी प्रश्न को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। येचुरी के प्रश्नों का जबाव देते हुए बीजेपी सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) मामले की सुनवाई कर रहा है। हम इस मुद्दे पर चर्चा किए हैं। सभी नियमों और कानूनों का पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्री श्री रविशंकर पर्यावरण की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। उनकी प्रतिबद्धता पर शक करना गलत होगा।
इस केस में राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मामला ट्रिब्यूनल में लंबित है, ऐसे में सभापति को राज्यसभा में मुद्दा उठाने की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए। उल्लेखनीय है दिल्ली में यमुना किनारे होने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के प्रोग्राम में सेना से पंटून पुल बनवाने को लेकर विवाद हो गया है। अब तक सेना एक पुल बना चुकी है और दूसरा पुल बनाने का काम जोरों पर है। संभावना है कि सेना तीसरा पुल भी बना सकती है।
श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से कराया जाने वाला यह एक निजी प्रोग्राम है। फिर इसके लिए सेना क्यों जुटी है, हालांकि सेना का तर्क है कि वह यह काम रक्षा मंत्रालय के आदेश पर कर रही है। वहीं सेना के सूत्रों ने बताया है कि पुलों को बनाने के लिए 120 जवान लगाए गए थे, कहा गया है कि पीएम के आने और किसी तरह की भगदड़ न मचे इसलिए सेना ने पुल बनाए हैं। वहीं यह भी कहा गया है कि आर्ट ऑफ लिविंग को बकायदा इसका बिल भेजा जाएगा। सेना यह भी कह रही है कि वह कुंभ और कॉमनवेल्थ गेम्स में पुल निर्माण का काम कर सकती है तो फिर यहां क्यों नहीं?
एनजीटी ने महोत्सव की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पैंटून पुलों पर कार, बस आदि वाहन कैसे चलेंगे। प्रोग्राम वेन्यू पर नींव कैसे बन रही है। डीडीए ने बताया कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) ने वेन्यू का दौरा किया है। किसी तरह की खुदाई नहीं हुई है, पिलर प्लेट पर बनाए जा रहे हैं। इस पर एनजीटी ने कहा कि पिलर प्लेट पर कैसे खड़े हो सकते हैं, प्लेट के बारे में जानकारी दी जाए।
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि किन नियमों के तहत आर्गनाइजर्स को पार्किंग क्षेत्र आवंटित किया गया है। क्या पार्किंग यमुना के बाढग़्रस्त क्षेत्र में आती है? आर्गनाइजर्स ने क्या आवंटित जगह से आगे पार्किंग क्षेत्र बढ़ाया है? पार्किंग स्थल से मलबा हटाने में कितने पैसे खर्च हुए हैं? उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि महोत्सव स्थल पर मलबा नहीं मिला है। ऐसे में मलबा हटाने के लिए पैसे खर्च करने का सवाल ही नहीं उठता।
श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के 35 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 11 से 13 मार्च तक यमुना किनारे (मयूर विहार फेज-1) विश्व संस्कृति महोत्सव का आयोजन होना है। महोत्सव के खिलाफ यमुना जिए अभियान एनजीओ के संयोजक मनोज मिश्र समेत अन्य पर्यावरणविदों ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि महोत्सव स्थल पर एनजीटी के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। एनजीटी ने यमुना के बाढग़्रस्त इलाकों में किसी भी तरह के निर्माणकार्य पर रोक लगाई है।
यमुना बैंक के करीब 1000 एकड़ एरिया को अस्थायी गांव के तौर पर तैयार किया गया है जहां आर्ट ऑफ लिविंग का तीन दिन का वल्र्ड कल्चरल फेस्टिवल होना है। यहां योगा, मेडिटेशन और शांति प्रार्थनाओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होने हैं। प्रोफेसर सीआर बाबू को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा इस जगह के आकलन का काम सौंपा गया था। उन्होंने बताया कि यमुना पुश्ते को नुकसान पहुंचा है। इस नुकसान की भरपाई के लिए आर्ट ऑफ लिविंग को 100 से 120 करोड़ रुपए देने चाहिए।
एनजीटी में मंगलवार को इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। एनजीटी ने केंद्र सरकार से पूछा है कि यमुना किनारे किसी भी अस्थायी ढांचे को बनाने के लिए इन्वायरन्मेंटल क्लियरेंस की जरूरत क्यों नहीं है? एनजीटी ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस दिया है और पूछा है कि उन्होंने इस कार्यक्रम से होने वाले नुकसान का आकलन किया है या नहीं। दूसरी ओर आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से कहा गया है कि उसने सभी शर्तें पूरी करते हुए कार्यक्रम की इजाजत मांगी है।
इधर, एनजीटी में इस सवाल पर सुनवाई चलती रही कि यमुना किनारे यह कार्यक्रम कराना कितना खतरनाक है। आर्ट ऑफ लिविंग के वकीलों ने कहा कि संस्था ऐसे कार्यक्रम दुनिया भर में कराती है। आयोजन नदी में नहीं, नदी किनारे हो रहा है। वहीं श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि उनके लोग नदी की सफाई में लगे हैं न कि नदी को गंदा करने में। पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाली सामग्री काम में लाई जा रही है।