न्यूज़ीलैंड के महान क्रिकेटर मार्टिन क्रो का निधन
ऑकलैंड: न्यूज़ीलैंड क्रिकेट के महान क्रिकेटर और कप्तान मार्टिन क्रो का देहांत हो गया है। वो लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। 2012 में उन्हें फॉलिक्युलर लिम्फ़ोमा का रोगी पाया गया, और कैंसर का इलाज किया गया, लेकिन 2014 में उनका कैंसर वापस लौट आया। उन्हें डबल हिट लिम्फ़ोमा और एक रेयर रक्त रोग से पीड़ित पाया गया, लेकिन क्रो ने कीमोथेरेपी लेने से इनकार कर दिया और प्राकृतिक इलाज के साथ घर पर आराम करना बेहतर माना। क्रो ने कहा कि इससे उन्हें इस बात का अंदाज़ होगा कि ज़िंदगी में क्या ज़रूरी है और वो उसे इंजॉय कर सकेंगे।
मार्टिन क्रो 53 साल के थे और पिछले साल विश्व कप से पहले क्रो ने कहा था कि इस दुनिया से जाने से पहले वो कीवी टीम को विश्व कप उठाते देखना चाहते हैं। कीवी टीम विश्व कप तो नहीं जीत सकी थी लेकिन उनके प्रदर्शन से क्रो काफ़ी खुश थे। क्रो ने 77 टेस्ट में 5444 रन बनाए, 45.36 की औसत से बनाए जिसमें 17 शतक और 18 अर्धशतक शामिल रहे।
टेस्ट में क्रो का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 299 रन उन्होंने 1991 में श्रीलंका के खिलाफ़ बनाया था और वो 2014 तक न्यूज़ीलैंड का टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा जब ब्रेंडन मेक्कलम ने भारत के खिलाफ़ 302 रनों की पारी खेल कर उसे तोड़ा। यही नहीं क्रो के 17 शतक अब तक न्यूज़ीलैंड की तरफ़ से किसी खिलाड़ी के टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक के तौर पर दर्ज हैं।
इसके अलावा क्रो की 45.39 की औसत से हाल ही में केन विलियमसन और रॉस टेलर जैसे खिलाड़ी आगे निकल सके हैं और पुराने दोर के जॉन रीड जिन्होंने महज़ 12 टेस्ट खेले थे। वो 46.28 की औसत के साथ उनसे आगे हैं।
वहीं उन्होंने 143 वनडे मैच भी खेले, जिसमें 4704 रन अन्होंने 38.55 की औसत से बनाए। इसमें 4 शतक और 34 अर्धशतक भी शामिल हैं। वो पिछले वर्ष आईसीसी हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किए जाने वाले विश्व के 79वें और न्यूज़ीलैंड के तीसरे खिलाड़ी बने।
क्रो ने 19 साल की उम्र में 1982 में डेब्यू किया और 14 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। वो एक सफल क्रिकेटर, कॉमेंटेटर और ऑथर रहे। 1985 में उन्हें विज़डेन क्रिकेटर ऑफ़ द इयर चुना गया और 1991 में उन्हें न्यूज़ीलैंड स्पोर्ट्समैन ऑफ़ द इयर चुना गया।