लखनऊ: सीटीडीडीआर-2016 के चौथे एवं अंतिम दिन तंत्रिका एवं रक्त वाहिनी सम्बन्धी बीमारियों के सत्र में वैज्ञानिकों ने जीवन शैली सम्बन्धी बीमारियों पर गहरी चिंता जताई। अमेरिका से आये प्रोफ होवार्ड कुर्थ ने बताया की आवश्यकता से अधिक कोलेस्ट्रोल कोशिका के बाहर जमा हो जाने से धमनियों में सूजन एवं थक्का निर्माण का कारण बन जाता है। उन्होंने अपनी नई खोजों के माध्यम से इसकी प्रक्रिया को समझाया एवं बताया कि प्रोब्युकोल एक एन्टीएथरोजेनिक ड्रग है जो रक्त वाहिनियों में मुक्त कोलेस्ट्रोल एवं मेक्रोफाज को जमा होने से रोकता है एवं इस तरह से रक्त वाहिनियों में थक्का बनने से भी बचाता है। वहीं अमेरिका से आये डॉ अनिल चौहान ने अपने अनुसन्धान के माद्यम से बताया कि जीवन शैली सम्बन्धी बीमारियां डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाइपरलिपिडेमिया (मोटापा) मनुष्यों में स्ट्रोक के खतरे को भी कई गुना बड़ा देती हैं उन्होंने फाइब्रोनेक्टिन स्प्लैसिंग वैरिएंट का उदाहरण देते हुए बताया कि यह स्वस्थ मनुष्य में बहुत काम मात्रा में उपस्थित होता है परन्तु उक्त बीमारियों से पीडि़त व्यक्ति में इसकी मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है। इंग्लैंड से आये प्रोफे स्टीफन हस्बेंड ने मादक द्रव्यों के सेवन, अवसाद एवं दर्द के इलाज के लिए नए खोजे गए मोलेक्युल्स् के औषधि के रूप में संभावनाओं के बारे में बताया। अमेरिका से आये प्रोफे लेज़ली मार्सन ने यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स के इलाज में आने वाली चुनौतियों के बारे में वैज्ञानिकों से चर्चा की। वहीं अमेरिका के ही प्रोफे हिरा नखाशी ने कालाजार के उपचार के लिए नए टारगेट मोलेक्युल्स के बारे में बताया। सीडीआरआई की डॉ नीना गोयल ने भी कालाजार के उपचार में अपनी टीम के कॉन्ट्रिब्यूशन को बताया। स्पेन से आईं प्रोफे रोजा रेगुएरा ने भी विसरल लीशमैनिएसिस में उनके नवीन अनुसन्धान को साझा किया। वहीं अमेरका के प्रोफे एंथोनी जेम्स हिके ने विस्तार से संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए एयरोसोल इन्हेलेशन के माध्यम से उपचार की पद्धतियों के बारे में बताया।

नेशनल सांइस डे पर आयोजित संगोष्टी के विशेष सत्र में प्रोफे ज़ैदी ने जीन, डिजीजेज एंड न्यू मेडिसिन  पर व्याख्यान दिया उन्होने बताया की हड्डियों का क्षरण  पुरुष एवं महिलाओं में उम्र के साथ होने वाली एक सामान्य समस्या है परन्तु यह समस्या महिलाओं में बहुत ही गंभीर है। 40-45 साल के उम्र पर आते-आते महिलाओं में पचास प्रतिशत से अधिक अस्थि क्षय हो जाता है। उनके नए शोधों के निष्कर्ष के अनुसार फोलिकुलर स्टिम्युलेटिंग हार्मोन इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने पाया की कैंसर की कुछ दवाएं अस्थि क्षरण में बेहद फायदेमंद हैं इस लिए कनेक्टिविटी मैप के माध्यम से पुरानी दवाइयों को नई बीमारियों के लिए रिपर्पजिंग करके ड्रग डिस्कवरी में मदद ली जा सकती है। कनेक्टिविटी मैप एक सोशल नेटवर्क है जिसमें बीमारियों उनसे सम्बंधित जीन्स एवं दवाओं की जानकारी होती है इसके माध्यम से कोई भी रिसर्च ग्रुप जानकारी साझा करके पुरानी दवाओं को नई बीमारियों के संभावित उपयोगिता पर शोध कर सकता है

संगोष्ठी के समापन के अवसर पर युवा वैज्ञानिकों को बेस्ट ओरल प्रेजेन्टेशन के लिए पुरस्कार दिए गए। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मद्रास चेन्नई की सुश्री दिव्या थॉमस एवं सीडीआरआई लखनऊ की सोनल को यह पुरुस्कार दिया गया। विभिन्न शोध क्षेत्रों में उत्कृष्ट अनुसन्धान के लिए बारह अन्य युवा वैज्ञानिकों को बेस्ट पोस्टर प्रेजेंटेशन अवार्ड भी दिए गए।